अब मंगल पर मानव बस्तियां बसाने की तैयारी में नासा
मंगल यानी लाल ग्रह पर पानी की संभावना के बाद अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा वहां मानव बस्ती बसाने की तैयारी में है। उसका सपना वहां ऐसी बस्ती बनाने का है, जो पूरी तरह से अपने जीवन के लिए मंगल की दशाओं पर निर्भर होगी। पृथ्वी से सुदूर पूरी तरह
मंगल यानी लाल ग्रह पर पानी की संभावना के बाद अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा वहां मानव बस्ती बसाने की तैयारी में है। उसका सपना वहां ऐसी बस्ती बनाने का है, जो पूरी तरह से अपने जीवन के लिए मंगल की दशाओं पर निर्भर होगी। पृथ्वी से सुदूर पूरी तरह से वह एक आत्मनिर्भर नई दुनिया होगी। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 2030-35 के बीच वहां मानव बस्तियां बसाने के लिए साल 2020 से युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू होगी। इस परियोजना का त्रिस्तरीय खाका यह एजेंसी बना चुकी है।
नासा की त्रिस्तरीय योजना
आइएसएस में शोध
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आइएसएस) में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाना, पानी व अन्य संसाधन उपलब्ध होते हैं। अभी वे इसके लिए पृथ्वी से भेजे गए संसाधनों पर निर्भर होते हैं। अब ये यात्री आइएसएस में शोध कर रहे हैं कि किस तरह से अंतरिक्ष में जीवन की जरूरतों को पूरा करके आत्मनिर्भर बना जाए? इसके तहत अंतरिक्ष का इंसानी स्वास्थ्य पर प्रभाव, संचार व्यवस्था और अंतरिक्ष सफर के लिए इंसानों को तैयार करने जैसी चीजों पर शोध हो रहा है।
सिस्लूनर स्पेस में प्रशिक्षण
अंतरिक्ष यात्रियों को सिस्लूनर स्पेस (चांद की कक्षा व आसपास का अंतरिक्ष क्षेत्र) में प्रशिक्षण दिया जाएगा। यहां मंगल पर इंसानों के रहने की क्षमताओं को जांचा जाएगा।
अंतरिक्ष खोजी अभियानों की सीरीज वर्ष 2018 में शुरू होनी प्रस्तावित है। इसके लिए स्पेस लांच सिस्टम (एसएलएस) का टेस्ट भी होना है। यह अत्याधुनिक तंत्र है जो लंबी दूरी के अंतरिक्ष अभियानों के लिए तैयार किया जा रहा है।
-रोबोटिक मिशन द्वारा एस्टेरॉयड की बड़ी चट्टानों का सिस्लूनर स्पेस में अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अध्ययन किया जाएगा।
-संचार तकनीक के इस्तेमाल, सीमित संसाधनों में जीवन निर्वाह और चीजों की रिसाइकलिंग द्वारा उनका बारंबार उपयोग संभव बनाने की दिशा में प्रयास किया जाएगा।
-पृथ्वी से निर्भरता खत्म करने के तरीके खोजने के साथ अंतरिक्ष में सामान की खेप ले जाने की दिशा में प्रयास किया जाएगा।
आत्मनिर्भर बनना
-अंतिम चरण में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मंगल पर रहने के लिए पृथ्वी से प्राप्त संसाधनों की निर्भरता खत्म हो जाए:
-मंगल ग्रह की कक्षा और उसके चांद पर इंसानों को भेजा जाएगा।
-मंगल सतह पर ऐसी संरचनाएं विकसित करना जिससे लंबे समय तक लोग रह सकें।
-मंगल के संसाधनों से ही ईंधन, भोजन, ऑक्सीजन और निर्माण सामग्री बनाना।
-20 मिनट पर डाटा और रिपोर्ट पृथ्वी पर भेजने के लिए उन्नत संचार व्यवस्था विकसित करना।
आसान नहीं है डगर मंगल की
1 परिवहन
बजट का निर्धारण करना
-लंबी दूरी तय करने वाले यान
-आइएसएस और सिस्लूनर स्पेस में सामान पहुंचाने की व्यवस्था करना
-एसएलएस को इस तरह तैयार करना कि उसमें मंगल ग्रह तक भारी मात्रा में सामान पहुंचाया जा सकें
-अंतरिक्ष यान को लंबे समय के लिए ऊर्जा मुहैया कराना
-मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश और लैंडिंग
-ऐसी संचार प्रणाली जो मंगल ग्रह पर भी बेहतर काम करे
2 अंतरिक्ष में कार्य करना
-अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
-वैज्ञानिक रोबोट के साथ कार्य कैसे करें, यह बेहतर करना
-ग्रह के संसाधनों का
बेहतर उपयोग
-कम लागत में लंबे समय तक रहने की तकनीक खोजना
-मंगल तक आने-जाने में लगने वाले 11 सौ दिनों के दौरान लोग सुरक्षित कैसे रहें
3 स्वस्थ रहना
-एनवायरमेंटल कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम मुहैया कराना
-लंबे समय तक शून्य गुरुत्वाकर्षण में रहने की क्षमता विकसित करना
-अंतरिक्ष यात्रियों को खतरनाक विकिरण से कैसे बचाया जाए
ओलंपिक आयोजन का पहला लाइव प्रसारण
1964 में आज ही जापान के टोक्यो में शुरू हुए ओलंपिक खेलों का पहली बार दुनिया भर के दर्शकों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाइव प्रसारण किया गया। जियोस्टेशनरी संचार उपग्रह के जरिये यह संभव हुआ। आंशिक कलर प्रसारण के लिहाज से भी यह पहला ओलंपिक खेल था।