वराहमिहिर के सिद्धांत से उबरेंगे मोदी
ज्योतिष के जनक वराहमिहिर का एक सिद्धांत है दुर्योग में संयोग की स्थिति। अब जबकि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के नामांकन के दिन (24 अप्रैल) भद्राकाल के नकारात्मक प्रभाव के साथ यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि इस काल में किए गए कार्य का फल नहीं मिलता, ऐसे में काशी के ज्योतिषाचार्यो ने इस
वाराणसी, राकेश पांडेय। ज्योतिष के जनक वराहमिहिर का एक सिद्धांत है दुर्योग में संयोग की स्थिति। अब जबकि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के नामांकन के दिन (24 अप्रैल) भद्राकाल के नकारात्मक प्रभाव के साथ यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि इस काल में किए गए कार्य का फल नहीं मिलता, ऐसे में काशी के ज्योतिषाचार्यो ने इस विसंगति के निहितार्थ और इस दुर्योग में संयोग तलाशने शुरू कर दिए हैं। बात सामने आई कि नामांकन के वक्त पचखा का पंचक भी है जो शुभ योग होता है। चूंकि मोदी की कुंडली में चंद्रमा का भाग्येश चल रहा है तो पूर्ण प्रभाव चंद्रमा का होगा जिसमें भद्राकाल का नकारात्मक प्रभाव क्षीण पड़ जाएगा।
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी का कहना है कि वराहमिहिर के सिद्धांत के अनुसार स्थान, परिस्थिति और काल का बड़ा महत्व होता है। उदाहरण के लिए जैसे किसी अच्छे मुहुर्त में राजघराने और कबीले में एक साथ एक ही समय पर दो बच्चे जन्म लेते हैं तो दोनों राजा नहीं बनेंगे। हां, यह जरूर होगा कि राजघराने वाले बच्चे को उसका राजपाठ मिलेगा तो वहीं कबीले में पैदा हुआ बच्चा अपने कबीले का सरदार बन सकता है। इसी तरह से मोदी के नामांकन के वक्त भी तमाम दुर्योगों केबीच संयोग के क्षणों को पकड़ना होगा। उनकी कुंडली बताती है कि मोदी का चंद्रमा भाग्येश काफी हद तक उनके लिए बन रही विपरीत परिस्थितियों के प्रभाव को न्यून करते हुए संयोग की स्थिति बनाएगा।
1.20 से पहले करें नामांकन
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी सुझाव देते हैं कि 24 अप्रैल को नरेंद्र मोदी को अपना नामांकन दोपहर 1.20 बजे से पहले करना चाहिए। इसके बाद तो एकदम से विपरीत परिस्थिति का योग बन रहा है। इस दिन सुबह 8.25 से दोपहर 1.21 बजे तक धनिष्ठा नक्षत्र होगा जबकि उसके बाद सतबीसा शुरू हो जा रही है।