नकवी समेत 19 भाजपा नेताओं को एक साल की सजा, जमानत
केंद्र सरकार में कुछ महीने पहले ही अल्पसंख्यक कल्याण एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री बने मुख्तार अब्बास नकवी को बुधवार को उत्तर प्रदेश के रामपुर की जिला अदालत ने बड़ा झटका दिया। पांच साल पहले थाने का घेराव करने और सड़क पर जाम लगाने के मामले में उन्हें अदालत ने एक
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार में कुछ महीने पहले ही अल्पसंख्यक कल्याण एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री बने मुख्तार अब्बास नकवी को बुधवार को उत्तर प्रदेश के रामपुर की जिला अदालत ने बड़ा झटका दिया। पांच साल पहले थाने का घेराव करने और सड़क पर जाम लगाने के मामले में उन्हें अदालत ने एक साल की सजा सुनाई है। हालांकि साथ ही उन्हें जमानत भी मिल गई लेकिन अदालत के इस आदेश से नकवी के साथ केंद्र सरकार भी थोड़ी असहज हो गई।
सरकार और भाजपा में इसकी काट के लिए चिंतन शुरू हो गया है। इसे राजनीतिक मामला बताकर बचने की रणनीति है। दबाव बहुत बढ़ा तो मंत्रीपद को लेकर फैसला किया जा सकता है। वैसे नकवी ने पहले ही ऊपरी अदालत में जाने की बात कहकर स्पष्ट कर दिया है कि फैसले को आखिरी न माना जाए।
सन 2009 के मामले में बुधवार को न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए नकवी सहित 19 भाजपा नेताओं के लिए एक साल कैद की सजा तय की। इसके बाद नकवी सहित सभी नेताओं ने जमानत के लिए न्यायालय में अर्जी दी, जिस पर न्यायालय ने उन्हें दो-दो जमानतदार उपलब्ध कराने पर रिहा करने का आदेश दिया।
जमानत के बाद नकवी ने न्यायालय के आदेश पर आस्था जताते हुए संकेत दिया कि ऊपरी अदालत में इसे चुनौती दी जा सकती है। हालांकि अभी तक राजनीतिक दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया शुरू नहीं हुई है लेकिन बताते हैं कि सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है। विपक्ष आक्रामक हुआ तो सरकार उससे निपटने के उपाय करेगी। हालांकि नकवी को दी गई एक साल की सजा से उनके चुनाव लड़ने या संसद की सदस्यता पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। लेकिन सजायाफ्ता होने के कारण नैतिकता का सवाल उठा तो सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है। वरना यह दलील पर्याप्त मानी जा रही है कि नकवी के खिलाफ राजनीतिक मामला है। ऐसे मामले हर चुनाव में नेताओं के सामने आते हैं।
ध्यान रहे कि दिल्ली चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानी जा रही आप इसी तरह की राजनीति करती रही है। जबकि एक अल्पसंख्यक मंत्री के खिलाफ राजनीतिक मामले में इस्तीफे का दबाव बनाना कांग्रेस समेत कई दूसरे विपक्षी दलों को शायद रास न आए। हालांकि कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने व्यक्तिगत तौर पर नकवी के इस्तीफे की मांग उठा दी है।
यह है मामला
सन 2009 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा का झंडा लगा वाहन रोकने और उसे सीज करने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव किया था। रोड पर जाम लगा दिया था। जानकारी मिलने पर भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नकवी भी कार्यकर्ताओं के साथ विरोध में शामिल हो गए थे। जबकि उस वक्त निषेधाज्ञा लगी हुई थी। इस मामले में रामपुर जिले के पटवाई थाना की पुलिस ने नकवी समेत 200 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। तब से सुनवाई चल रही थी।
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'मुझे न्यायालय के प्रति श्रद्धा है। आदेश पढ़ने के बाद उसमें सुधार के लिए कदम उठाया जाएगा।' - मुख्तार अब्बास नकवी
'नकवी को ऊपरी अदालत में अपील के लिए वक्त मिला है। एक जिम्मेदार पार्टी के रूप में कांग्रेस फिलहाल कुछ नहीं कहना चाहती है।'- अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस प्रवक्ता
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