हेंडलूम, सिंचाई व मझोले उद्योगों को अधिक लोन दे सकेगा नाबार्ड
सरकार ने नाबार्ड में आरबीआइ की 0.4 प्रतिशत हिस्सेदारी 20 करोड़ रुपये में खरीदने को भी मंजूरी दी। सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि आरबीआइ बैंकों का नियामक है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डवलपमेंट एक्ट (नाबार्ड) अब सिंचाई परियोजनाओं, हेंडलूम और मझोले उद्योगों को अधिक लोन दे सकेगा। सरकार इस संबंध में नाबार्ड कानून में संशोधन करने जा रही है जिसके पारित होने के बाद नाबार्ड की अधिकृत पूंजी पांच हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 30 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। इसके बाद नाबार्ड की उधार देने की क्षमता बढ़ जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को नाबार्ड कानून, 1981 में संशोधन के लिए एक विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। सरकार ने नाबार्ड में आरबीआइ की 0.4 प्रतिशत हिस्सेदारी 20 करोड़ रुपये में खरीदने को भी मंजूरी दी। सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि आरबीआइ बैंकों का नियामक है। ऐसे में अगर नाबार्ड में उसकी हिस्सेदारी रहेगी तो यह हितों का टकराव होगा।
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नाबार्ड कानून में संशोधन की जरूरत इसलिए भी पड़ी है क्योंकि सरकार अब मझोले उद्योगों और हेंडलूम सेक्टर को इसके माध्यम से लोन मुहैया कराना चाहती है। ऐसे में इस कानून में संशोधन होने से नाबार्ड रोजगार देने वाले इन उद्योगों को वित्तीय मदद कर सकेगा। नाबार्ड कानून में संशोधन होने के बाद सरकार 30 हजार रुपये की प्रस्तावित अधिकृत पूंजी को भी आरबीआइ के साथ परामर्श के बाद और बढ़ा सकेगी। इससे नाबार्ड के पास अधिक वित्तीय संसाधन उपलब्ध होंगे।
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