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जर्मनी का चश्मा और रोलेक्स घड़ी थी पहचान

गुमनामी बाबा के पास से बरामद साहित्य और फोटोग्राफ ही नहीं दैनिक उपभोग की वस्तुओं से नेता जी की निशानदेही मिलती है। इनमें मेड इन जर्मनी सुनहले फ्रेम का चश्मा, रोलेक्स घड़ी, फाउंटेन पेन, दूरबीन, 555 ब्रांड की सिगरेट आदि प्रमुख है। सहज मान्यता है कि इनका उपभोग नेता जी करते

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2015 07:47 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2015 08:03 PM (IST)
जर्मनी का चश्मा और रोलेक्स घड़ी थी पहचान

फैजाबाद, [रघुवरशरण]। गुमनामी बाबा के पास से बरामद साहित्य और फोटोग्राफ ही नहीं दैनिक उपभोग की वस्तुओं से नेता जी की निशानदेही मिलती है। इनमें मेड इन जर्मनी सुनहले फ्रेम का चश्मा, रोलेक्स घड़ी, फाउंटेन पेन, दूरबीन, 555 ब्रांड की सिगरेट आदि प्रमुख है।

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सहज मान्यता है कि इनका उपभोग नेता जी करते थे और वे यूं ही नहीं बाबा के पास थीं। 17 सितंबर 1980 को रामभवन में प्रवास के दौरान गुमनामी बाबा के निधन पर पत्रकार के तौर पर प्रकरण की पड़ताल करने वाले साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. वीएन अरोड़ा के अनुसार इनमें से कुछ का उपभोग तो हो रहा था पर कुछ ऐसी सामग्री थी, जिसे धरोहर के तौर पर सहेजकर रखा गया था।

सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष शक्ति सिंह का मानना है कि लंबे काल खंड के बीच नेता जी की ङ्क्षजदगी बदल गई थी पर गुमनाम रहने की गहन विवशता के बीच भी वे अपनी पहचान को लेकर सजग थे। इसी का परिणाम है कि उन्होंने कुछ खास वस्तुएं जीवन के आखिरी वर्षों तक सहेज रखी थीं। उनका कहना है कि यदि इतिहास की सच्चाई के साथ पड़ताल की जाय, तो साफ होगा कि ये वस्तुएं गुमनामी बाबा के पास से बरामद होने या नेता जी की होने के वजह से ही नहीं, बल्कि अन्य अनेक वजहों से महत्वपूर्ण हो सकती हैं। संभव है कि नेता जी ने जो वर्दी सहेज रखी हो, उसे उन्होंने किसी खास मोर्चे पर पहन रखी हो या द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भूमिगत होते समय उन्होंने जो वर्दी पहन रखी हो, वह हो।

इसमें कोई संदेह नहीं कि गुमनामी बाबा को अंतरराष्ट्रीय सितारे की पहचान से वंचित होकर भूमिगत जीवन को लेकर बहुत मलाल था और वे खास शिष्यों से गाहे-बगाहे इस दर्द को बांट लिया करते थे। खास भक्तों के बीच बाबा की यह उक्ति आज भी पूरी मार्मिकता से याद की जाती है, 'इस देश के रजिस्टर से मेरा नाम काट दिया गया।' कवि अशोक टाटंबरी कहते हैं, राष्ट्रीय जीवन के इतिहास में इससे त्रासदपूर्ण कुछ नहीं हो सकता कि जिस महानायक ने भारत मां की आजादी के लिए अंग्रेजों की चूलें हिला दीं, उसे ही मां के आंचल में बेगाना होकर रहना पड़ा।

गुमनामी बाबा के पास थी आजाद हिंद फौज की वर्दी

फैजाबाद, जागरण संवाददाता। गुमनामी बाबा के पास से आजाद हिंद फौज की वर्दी भी बरामद हुई। इसे गुमनामी बाबा के नेता जी होने का बड़ा साक्ष्य माना जाता है। गौरतलब है कि ब्रितानी हुकूमत से संघर्ष के दौरान सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन ही नहीं किया था बल्कि वे स्वयं आजाद हिंद फौज के कमांडर की वर्दी में रहते थे।

गुमनामी बाबा दोहराया करते थे, 'देश के रजिस्टर से मेरा नाम काट दिया गया'

20 साल तक भारत में क्रूर तानाशाही चाहते थे सुभाष चंद्र बोस


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