गुजरात में मुस्लिमों ने उठाया गोवंश की हिफाजत का बीड़ा
गुजरात में गोवंश की हिफाजत और उनके वध को रोकने का जिम्मा उठाने के लिए मुस्लिम समाज आगे आया है। जमीयत- उलेमा-ए-हिंद ने गोहत्या पर पूरी तरह से पाबंदी अमल में लाने के लिए मुस्लिम गो-हिफाजत कमेटियां गठित की हैं। ये कमेटियां गांवों में जागरूकता अभियान चला रही हैं ताकि ¨हदुओं की भावनाओं को ठेस ना लगे। इतना
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात में गोवंश की हिफाजत और उनके वध को रोकने का जिम्मा उठाने के लिए मुस्लिम समाज आगे आया है। जमीयत- उलेमा-ए-हिंद ने गोहत्या पर पूरी तरह से पाबंदी अमल में लाने के लिए मुस्लिम गो-हिफाजत कमेटियां गठित की हैं। ये कमेटियां गांवों में जागरूकता अभियान चला रही हैं ताकि ¨हदुओं की भावनाओं को ठेस ना लगे। इतना ही नहीं संगठन ने बकरीद पर भी गोकशी नहीं होने देने का संकल्प व्यक्त किया है।
गुजरात में गोवंश की हत्या व बूचड़खानों को लेकर ¨हदू-मुस्लिमों के बीच आए दिन होने वाले तनाव को खत्म करने के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद ने पहल की है। संगठन के नेता अरशद मदनी की अगुवाई में गुजरात इकाई ने भरूच इलाके के गांवों में गोवंश हिफाजत का अभियान शुरू किया। मुस्लिम,आदिवासियों व अन्य समुदाय के लोगों को साथ लेकर मुस्लिम गो-हिफाजत कमेटियां गठित कीं। इसके बाद गांव के वरिष्ठ लोगों,सरपंच व बूचड़खाना संचालकों के साथ बातचीत कर गोहत्या पूरी तरह बंद कराने का बीड़ा उठाया। दक्षिण गुजरात के करीब 62 गांवों में गोहत्या पाबंदी के बोर्ड लगाकर ऐसा करने वालों को चेताया भी गया है।
जमीयत की गुजरात इकाई के उपाध्यक्ष अब्दुल कयूम हक के मुताबिक,कुरान में लिखा है कि कुर्बानी हरेक मुसलमान का फर्ज है,लेकिन उसमें किसी जानवर विशेष का उल्लेख नहीं है इसलिए मुस्लिमों को इसके विकल्प को अपनाना चाहिए ताकि ¨हदुओं की धार्मिक भावनाओं का आदर हो सके। उन्होंने कहा,कुरान में साफ लिखा है कि मुसलमान जिस देश में रहे उसके प्रति वफादार रहें। इस्लाम के सिद्धांतों को हानि न पहुंचाने वाले सभी कानूनों का पालन करे। ऐसे में मुस्लिमों को गोवंश की हत्या रोकने के लिए आगे आना चाहिए। बकरीद पर अन्य जानवरों की कुर्बानी को अपनाना चाहिए। हक के मुताबिक, कुछ माफियाओं के कारण गोवंश वध के विवाद सामने आते हैं। ऐसे मामलों के शांतिपूर्वक निपटारे के लिए गो हिफाजत कमेटियां बनाई हैं।