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गुजरात में मुस्लिम छात्र-छात्राओं ने लगाई उच्च शिक्षा में छलांग

अहमदाबाद [जासं]। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं ने लंबी छलांग लगाई है। गोल्ड मेडल पाने वाले 11

By Edited By: Published: Thu, 07 Mar 2013 06:49 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2013 09:13 PM (IST)
गुजरात में मुस्लिम छात्र-छात्राओं ने लगाई उच्च शिक्षा में छलांग

अहमदाबाद [जासं]। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं ने लंबी छलांग लगाई है। गोल्ड मेडल पाने वाले 118 में से आठ मुस्लिम छात्र-छात्राओं ने 15 गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया है। एसएलयू कॉलेज से होम साइंस में स्नातक करने वाली शमीमा ने अकेले तीन गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया जबकि बीएससी में 70 फीसद अंक लाकर शिरीन ने भी तीन गोल्ड मेडल हासिल किए।

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गुजरात विश्वविद्यालय के 61वें दीक्षांत समारोह में शमीमा ने सबसे अधिक तीन गोल्ड मेडल हासिल किए। उनके पिता हनीफभाई अहमदाबाद महानगर ट्रांसपोर्ट सर्विस में फीटर के पद पर कार्यरत हैं। मां आयशा पटेल को जब गोल्ड मेडल के बारे में बताया तो खुशी के मारे उनका गला रुंध गया, आंखों से आंसू निकल आए। मां-पिताजी को शमीमा से पूरा भरोसा था जिसे उसने पूरा कर दिखाया। शमीमा आईएएस बनना चाहती हैं और उसकी तैयारियों में जुट गई हैं। बीएससी 70 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण करने वाली शिरीन कुरैशी एमएससी के बाद शोधकार्य से जुड़ना चाहती हैं। शिरीन का मानना है कि घर में महिला शिक्षित हों तो बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित होता है।

तैयब खान शेख ने बीए किया है तथा संस्कृत में उन्हें पांच स्कॉलरशिप भी मिली है, संस्कृत में उन्होंने दो गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। तैयब आदिवासी बहुल देवगढ़ बारिया इलाके से आते हैं तथा बीएड करके शिक्षक बनना चाहते हैं उन्हें बचपन से शिक्षा के क्षेत्र से लगाव था। आदिवासी बहुल संतरामपुर की यास्मिन बानू ने भी संस्कृत में गोल्ड मेडल हासिल किया है। वे आदिवासी आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज से स्नातक किया है तथा एक स्थानीय स्कूल में शिक्षिका हैं। अहमदाबाद के दाणीलीमड़ा इलाके में रहने वाली कौशर कुरैशी एफडी आर्ट्स कॉलेज की छात्रा हैं तथा उन्हें इंग्लिश लिटरेचर में तीनों साल 70 फीसद से अधिक अंक हासिल किए हैं जिसके लिए उन्हें गोल्ड मेडल मिला। चार बहन व एक भाई में सबसे बड़ी कौशर शिक्षा पूर्ण करने के बाद प्राध्यापक बनना चाहती हैं। उनके पिता ऑटो पार्ट्स का बिजनेस करते हैं, उनका मानना है कि लड़का व लड़की में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। लड़कियों की बेहतर शिक्षा हो तो वे भी अपने परिवार का नाम रोशन करती हैं। सेंट जेवियर कॉलेज की 21 वर्षीय छात्रा शगुफ्ता खान ने इकोनॉमिक्स से बीए किया है। उन्हें एक गोल्ड मेडल मिला है तथा वे कहती हैं कि शिक्षा ही उज्जवल भविष्य का एक मार्ग है।

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