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निकाहनामे में तीन तलाक नहीं लेने की शर्त जुड़वा सकेंगे दूल्हा-दुल्हन

बोर्ड ने यह भी तय किया है कि जो लोग एक बार में तीन तलाक देकर समस्या पैदा कर रहे हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार करने के लिए कहा जाएगा।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 12:06 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 12:20 PM (IST)
निकाहनामे में तीन तलाक नहीं लेने की शर्त जुड़वा सकेंगे दूल्हा-दुल्हन
निकाहनामे में तीन तलाक नहीं लेने की शर्त जुड़वा सकेंगे दूल्हा-दुल्हन

नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। तीन तलाक को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी शुरू हो गई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस सिलसिले में मौलवियों और काजियों को दिशा-निर्देश जारी करेगा। इसमें कहा जाएगा कि वे दूल्हा--दुल्हन को निकाहनामे में शर्त जुड़वाने की सलाह दें कि वे तीन तलाक नहीं लेंगे।

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इतना ही नहीं दूल्हे को बताया जाएगा कि वह एक बार में तीन तलाक नहीं देगा, क्योंकि इसे शरीयत में अवांछित चलन माना गया है। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तीन तलाक की वैधानिकता पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने बोर्ड से पूछा था कि क्या निकाहनामे में तीन तलाक को नकारने का विकल्प शामिल किया जा सकता है? कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को बोर्ड ने हलफनामा दाखिल किया। तीन तलाक वालों का सामाजिक बहिष्कार होगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मोहम्मद फजलुर्रहमान ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड अपनी वेबसाइट पर, सोशल मीडिया और प्रकाशन के जरिए निकाह कराने वाले काजी और मौलवियों को दिशा-निर्देश जारी करेगा।

बोर्ड ने यह भी तय किया है कि जो लोग एक बार में तीन तलाक देकर समस्या पैदा कर रहे हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार करने के लिए कहा जाएगा। बोर्ड ने हलफनामे के साथ अपनी कार्यसमिति की गत 15 और 16 अप्रैल की बैठक में पारित प्रस्ताव को भी संलग्न किया है। वह प्रस्ताव न सिर्फ एक बार में तीन तलाक की मनाही करता है बल्कि उसमें पति पत्नी के आपसी मतभेद निपटने के बारे में गाइडलाइन भी जारी की गई है।

बोर्ड एक बड़ा जन आंदोलन चलाएगा जिसमें लोगों को अकारण तीन तलाक देने से रोका जाएगा। एक बार में तीन तलाक नहीं कहा जाएगा। बोर्ड इस संदेश को मुसलमानों के सभी तबकों तक पहुंचाएगा। इसके लिए इमामों और उपदेशकों की मदद ली जाएगी।

ऐसे ले सकेंगे तलाक

आपस में विवाद होने पर पति और पत्नी आपसी सहमति से उसका हल निकालेंगे। अगर सुलह न हो तो कुछ समय के लिए दोनों अस्थाई तौर पर अलग हो जाएंगे। ये दोनों तरीके फेल हो जाएं तो दोनों पक्षों के बुजुर्ग और मध्यस्थ के जरिए सुलह की कोशिश होगी।

अगर तब भी सुलह नहीं हुई तो पति सिर्फ एक बार तलाक बोलेगा और पत्नी इद्दत अवधि पूरी करेगी।  अगर इद्दत के दौरान सुलह हो गई तो ठीक है, नहीं तो इद्दत पूरी होने के बाद शादी खत्म हो जाएगी। इद्दत अवधि पूरी होने के बाद सुलह होती है तो दोनों आपसी सहमति से फिर निकाह कर सकते हैं।

तलाक का दूसरा तरीका

तलाक का दूसरा तरीका यह होगा कि पति एक बार तलाक देगा। उसके दूसरे महीने दोबारा तलाक देगा। तीसरे महीने तलाक देते ही शादी खत्म हो जाएगी। लेकिन, इस तीसरे तलाक से पहले दोनों के बीच सुलह हो सकती है। यदि पत्नी साथ नहीं रहना चाहती है, तो वह खुला ले सकती है।

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