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वर्चस्व की जंग में मैनपुरी में खेला गया खूनी खेल

मैनपुरी में दस वर्ष पहले शुरू हुई गांव की राजनीति की रंजिश चौहरे हत्याकांड की परिणति तक पहुंच गई। रंजिश राजनीति के वर्चस्व की जंग की थी, जिसमें पहली हत्या नौ वर्ष पहले हुई। हत्याकांड में तत्कालीन प्रधान समेत चार को आजीवन कारावास की सजा है। नौ वर्ष पहले मारे गए कॉपरेटिव सोसायटी के सचिव के बेटे के साथी कल हत्या क

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 11:27 AM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 11:27 AM (IST)
वर्चस्व की जंग में मैनपुरी में खेला गया खूनी खेल

लखनऊ। मैनपुरी में दस वर्ष पहले शुरू हुई गांव की राजनीति की रंजिश चौहरे हत्याकांड की परिणति तक पहुंच गई। रंजिश राजनीति के वर्चस्व की जंग की थी, जिसमें पहली हत्या नौ वर्ष पहले हुई। हत्याकांड में तत्कालीन प्रधान समेत चार को आजीवन कारावास की सजा है। नौ वर्ष पहले मारे गए कॉपरेटिव सोसायटी के सचिव के बेटे के साथी कल हत्या कर दी गई। हत्याकांड में तीन बेकसूर भी मारे गए।

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असरोई में चौहरा हत्याकांड करहल के गांव मनोना की राजनीतिक रंजिश की परिणति के रूप में सामने आया। 2005 से मनोना प्रधान जगन्नाथ सिंह यादव और कॉपरेटिव सोसायटी सचिव अकबर सिंह यादव के बीच वर्चस्व की जंग शुरू हुई। दोनों पक्षों के बीच प्रधानी के चुनाव को लेकर टकराव की स्थिति बनी रहती थी। 2005 में ग्राम सभा प्रधान की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई। अकबर सिंह व जगन्नाथ सिंह ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे। इसके बाद रंजिश और गहरा गई। इसी बीच अकबर सिंह की हत्या कर दी गई। अकबर सिंह के बेटे सुनील यादव ने जगन्नाथ व चार साथियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। इसके साथ ही अपने पक्ष के अनुसूचित जाति के सत्यवीर सिंह को प्रधान बनवाने में भी कामयाबी हासिल कर ली। जिसके बाद जगन्नाथ पक्ष और ज्यादा चिढ़ गया और रंजिश गहरा गई। इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच कई बार विवाद भी हुआ।

वर्ष 2010 में हुए प्रधानी के चुनाव में जगन्नाथ यादव ने दावेदारी की तो दूसरी तरफ से सुनील यादव की पत्‍‌नी गुड्डी देवी भी मैदान में उतरी। मनोना के नीरज यादव ने गुड्डी देवी के पक्ष में जमकर प्रचार किया। चुनाव के बीच दोनों पक्षों में जमकर तनाव बढ़ा तो नीरज भी सुनील के साथ खड़ा दिखाई दिया। जिसके चलते जगन्नाथ पक्ष के निशाने पर नीरज भी आ गया। चुनाव सुनील की पत्नी गुड्डी देवी जीत गई। जगन्नाथ को यह हार बर्दाश्त नहीं हुई। इसके बाद टकराव बढ़ने लगा, मगर जगन्नाथ पक्ष की हर बार मात होती गई। सुनील यादव ने प्रयास कर गांव सभा में मनरेगा योजना के संचालन के लिए नीरज यादव को रोजगार सेवक के पद पर नियुक्त करवा दिया। इसके बाद नीरज व सुनील हमेशा साथ रहने लगे। सुनील यादव पर जब भी हमला किया गया, तब नीरज ने नाकाम कर दिया। कल नीरज को रास्ते से हटाने की साजिश रची गई, जिसमें उसके साथ बेकसूर ठेका सेल्समैन अखिलेश व इटावा भरथना के सुनील यादव को मौत के घाट उतार दिया गया। जबकि नीरज के भाई की रास्ते में हत्या कर दी गई।

हत्याकांड में चार को हुई थी उम्रकैद की सजा

नौ साल पहले कॉपरेटिव के सचिव अकबर सिंह यादव की हत्या की घटना में दूसरे पक्ष के जगन्नाथ सिंह यादव, थान सिंह, राजेंद्र सिंह व रामकिशोर नाई के विरुद्ध रिपोर्ट लिखाई गई थी। अदालत में सुनवाई के बाद चारों अभियुक्तों को दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जगन्नाथ सिंह व राजेंद्र सिंह जेल में सजा काट रहे हैं। जबकि थान सिंह व राजकिशोर नाई को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

मौत खींच लाई बीमार सोनू को

मृतक नीरज यादव का भाई सोनू कुछ दिन से बीमार चल रहा था। शुक्रवार को वह दवाई लेने के लिए सिरसागंज गया और रिश्तेदारी में रुक गया। कल सवेरे वह टाटा मैजिक में सवार होकर घर आ रहा था। अपने गांव मनोना मोड़ पर पहुंचने के बाद वह जैसे ही वाहन से उतरा, तभी हमलावर सामने आते दिखाई दिए। हमलावरों के साथ सोनू के भाई की रंजिश चल रही थी। उसे लगा कि हमलावर उसे मार डालेंगे तो वह जान बचाकर भागने लगा। हमलावरों की भी नजर सोनू पर पड़ी तो वह उसके पीछे हो लिए और उसे गोलियों से भूनकर मार डाला।

माना जा रहा है हमलावरों की योजना सोनू की हत्या करने की नहीं थी। मगर वह अचानक सामने मिल गया। अगर वह कुछ देर बाद आता तो उसकी जान बच जाती।

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