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बैंक के साथ जेल प्रशासन को भी दिया धोखा, अस्‍पताल में काट रहा मस्‍ती के दिन

बैंक से धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी तो हुई पर कानून के आंखों में भी धूल झोंककर निजी अस्‍पताल में फर्जी कागजातों के आधार पर भर्ती हो मस्‍ती कर रहा है आरोपी।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 11:35 AM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 11:41 AM (IST)
बैंक के साथ जेल प्रशासन को भी दिया धोखा, अस्‍पताल में काट रहा मस्‍ती के दिन

मुंबई। शोमैन ग्रुप के सर्विस प्रोवाइडर व वाइस प्रेसिडेंट, विमल बरोत (36) को देना बैंक से धोखाधड़ी मामले में 2014 में गिरफ्तार कर आर्थर रोड जेल रखा गया जो अब दिसंबर 2015 से फर्जी कागजातों के आधार पर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती है। यह अस्पताल उसके लोखंडवाला स्थित आवास से मात्र 19 मिनट की दूरी पर है।

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अंधेरी वेस्ट, लोखंडवाला स्थित 50 बेड वाले अविवा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में फर्जी कागजातों के आधार पर स्किन इंफेक्शन की शिकायत के साथ बरोत भर्ती है। उसने एक माह तक अस्पताल में रहने के लिए जेल के अधिकारियों को 5 लाख रुपये दिए। शोमैन ग्रुप का वाइस प्रेसिडेंट विमल बरोत गत वर्ष के दिसंबर से अविवा हॉस्पीटल में है।

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मुंबई में देना बैंक के मालाबार हिल ब्रांच में कार्यरत पूर्व चीफ मैनेजर प्रीतम वी नागरकर के साथ बरोत और सह आरोपी देवेंद्र भोगले और राहुल गोहिल को गिरफ्तार किया गया था। इनकी गिरफ्तारी विभिन्न संस्थानों से 256.49 करोड़ रुपये की टर्म डिपॉजिट निकाल बैंक को चूना लगाने के जुर्म में हुई। कम से कम सात कंपनियों की टर्म डिपॉजिट के ओवरड्राफ्ट सुविधाओं संबंधित फर्जी अनुरोधों के आधार पर इन संस्थानों के लिए लोन मंजूर किए गए थे।

सीबीआइ के अनुसार, नागरकर व बरोत ने 220 करोड़ रुपये निकालने की साजिश रची जिससे देना बैंक को नुकसान हुआ। इस साल जून में सीबीआई इन सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी।

मिड डे के अनुसार, शनिवार को अविवा हॉस्पीटल जाने पर पता चला कि बरोत चौथी मंजिल के 13 नंबर कमरे में भर्ती है। 12 नंबर रूम में एसआइ समेत चार पुलिस अधिकारी व अन्य कांस्टेबल उसकी सुरक्षा के लिए मौजूद थे, उस वक्त सब टेलीविजन देख रहे थे। सूत्रों ने बताया कुछ पुलिस अधिकारी अस्पताल में इधर उधर घूमते भी पाए गए।

जेल सुपरिटेंडेंट भरत भोंसले ने स्वीकार किया कि बरोत अविवा हॉस्पीटल में है, साथ ही यह भी बताया कि उसे यह सुविधा सेशन कोर्ट के आदेश पर दिया गया है।

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उन्होंने आगे बताया, ‘उसने स्किन इंफेक्शन की शिकायत की थी जिसे देखते हुए उसे जे जे अस्पताल में दाखिल किया गया। वहां से मिले सर्टिफिकेट के आधार पर उसे अविवा अस्पताल में लाया गया। हमने जेजे अस्पताल के अधिकारियों को एक कमेटी गठित करने को कह दिया है जो इस बात की जांच करेगी कि क्या वास्तव में बरोत को इलाज की जरूरत है।‘

जब उनसे पूछा गया कि बरोत को अविवा में क्यों भर्ती किया गया था तब उन्होंने फोन काट दिय। सूत्रों के अनुसार 3 दिसंबर, 2015 को फर्जी सर्टिफिकेट की मदद से बरोत को अविवा में भर्ती किया गया था।

सर्टिफिकेट पर जेजे अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर, डॉ. अनमोल के हस्ताक्षर हैं। अविवा में स्थानांतरण के लिए सेशन कोर्ट में यह सर्टिफिकेट पेश किया गया था।

सूत्रों ने बताया कि अविवा में भर्ती होने के बाद कागजों पर इलाज के तौर पर सबूत के लिए बरोत का लिपोसक्शन सर्जरी किया गया।

आर्थर जेल के रोगियों को इलाज के लिए आमतौर पर जेजे अस्पताल भेजा जाता है। बरोत के पारिवारिक दोस्त का दावा है कि उसे स्किन कैंसर के इलाज के लिए भर्ती किया गया था।

जेजे अस्पताल के डीन, डॉ. टीपी लहाने ने कहा कि कहीं और इलाज के लिए किसी तरह का सर्टिफिकेट नहीं जारी किया गया है। मैं इस मामले की छानबीन करूंगा।

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सूत्रों ने कहा, ‘कुछ दिनों पहले मैनेजमेंट के समाने एक मामला आया क्येांकि एक रोगी को घर से बने खाने और काफी बढ़िया सुविधाएं दी गयी थी। प्रतिदिन उसेके परिवार के लोग अस्पताल में आते थे और उसके साथ घंटों समय बिताते थे। उसकी पत्नी मोनिका विमल मालूका (फिल्म रहस्य की प्रॉड्यूसर) अधिकांश समय यही रहती है।‘ मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बरोत पर 24x7 पुलिस का पहरा है। इसके लिए 18 पुलिस अधिकारियों को रखा गया है।


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