मुलायम सिंह ने शुरू किया डैमेज कंट्रोल, गवर्नर नाईक से मिले
समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव प्रदेश में मनोनीत विधान परिषद सदस्यों की सरकार की सूची पर उभरे विवाद का निदान अब अपने हाथ में लेने वाले हैं। डैमेज कंट्रोल में माहिर माने जाने वाले धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने संभवत: इसी प्रकरण पर आज राज्यपाल राम नाईक
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव प्रदेश में मनोनीत विधान परिषद सदस्यों की सरकार की सूची पर उभरे विवाद का निदान अब अपने हाथ में लेने वाले हैं। डैमेज कंट्रोल में माहिर माने जाने वाले धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने संभवत: इसी प्रकरण पर आज राज्यपाल राम नाईक से करीब 45 मिनट तक वार्ता की। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के 29 या 30 मई तक विदेश दौरे से लौटने के बाद ही राज्यपाल की आपत्तियों पर जवाब दिया जाएगा। इसके बाद संभव है प्रदेश में मनोनीत नौ विधान परिषद सदस्यों की सूची में बदलाव हो।
राज्यपाल से मिलने के बाद मुलायम सिंह ने यादव इसे शिष्टाचार भेंट बताया। उन्होंने कहा कि उनके राम नाईक से वर्षो पुराने सम्बन्ध हैं और एम्एलसी के मुद्दे पर उनकी आज कोई बात नहीं हुयी है। मुलायम ने कहा कि इस मामले से उनका कोई मतलब नहीं है और राज्यपाल के उठाये गए सवालों का जवाब सरकार देगी। मेरा सरकार से कोई मतलब ही नहीं है।
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के आज दिन में करीब 11:30 बजे राजभवन पहुंचने की खबर से खलबली मच गई। मुलायम सिंह यादव ने राजभवन में राज्यपाल राम नाईक से करीब 45 मिनट तक वार्ता की। माना जा रहा है कि मनोनीत विधान परिषद के नौ सदस्यों की सूची पर राज्यपाल की आपत्ति के बाद से समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव भी काफी सक्रिय हो गये हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विदेश दौरे पर होने के कारण आज सपा सुप्रीमो राज्यपाल से मुलाकात करने राजभवन पहुंच गये। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सपा के जिन नौ नेताओं को विधान परिषद के लिए नामित किया है, उनकी सूची को लेकर राज्यपाल से मुलायम सिंह यादव की वार्ता हुई है। राज्यपाल राम नाईक ने नौ नाम की सूची पर प्रदेश सरकार से इनकी योग्यताओं को लेकर जवाब तलब किया था। विधान परिषद के सदस्यों के नाम पर पेंच फंसते देख मुलायम सिंह यादव आज अचानक ही राजभवन पहुंच गये।
प्रदेश में विधान परिषद् की नौ सीट 25 मई से खाली हो गई हैं। सरकार ने इसके लिए नौ नाम की सूची राजभवन को भेजी थी मगर राज्यपाल ने विधि परामर्शी से चर्चा के बाद कई बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांग लिया था। जिसके बात इन पदों पर मनोनयन की प्रक्रिया विवादस्पद हो गयी है।
सूत्रों का कहना है कि सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव के करीबी पूर्व विधायक कमलेश पाठक और लखनऊ के चर्चित बिल्डर संजय सेठ की पृष्ठभूमि खंगालने के बाद राजभवन से स्पष्टीकरण मांगे गए हैं। संविधान के अनुसार इन सीटों पर कला, साहित्य, संस्कृति, समाजसेवा, सहकारिता आदि क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वालों या किसी अन्य क्षेत्र में अति विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वालों को ही मनोनीत किया जा सकता है। सरकार ने जिन नौ नामों की सूची राजभवन भेजी है, उनमें सब के सब या तो सपा के नेता हैं या फिर पार्टी के वफादार. कला, साहित्य अथवा वांछित अन्य क्षेत्रों से इनका दूर-दूर तक नाता नहीं है। राजभवन यह पता लगा रहा है कि जिन्हें नामित करने का प्रस्ताव भेजा गया है, उनकी किस क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियां रही हैं और क्या संविधान की व्यवस्था के अनुसार उन्हें नामित किया जा सकता है। मनोनीत सदस्य के रूप में विधान परिषद के लिए जिन लोगों की संस्तुति प्रदेश सरकार ने की है उनमें सहारनपुर के सरफराज खां, बुलंदशहर के जितेंद्र यादव, गाजीपुर के रामवृक्ष यादव, सपा के प्रदेश सचिव एसआरएस यादव, औरैया निवासी कमलेश पाठक, गोंडा के रणविजय सिंह, मत्स्य विकास निगम के चेयरमैन व लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजपाल कश्यप, महिला कल्याण निगम की अध्यक्ष लीलावती कुशवाहा और लखनऊ के नामी बिल्डर संजय सेठ शामिल हैं।