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दूरगामी हित देख महागठबंधन से अलग हुए मुलायम

राजनीतिक हित पहले, रिश्तेदारी बाद में। रिश्ते में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के समधी एवं सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बिहार के गठबंधन से किनारा कर यह साफ कर दिया है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 09:05 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 09:41 PM (IST)
दूरगामी हित देख महागठबंधन से अलग हुए मुलायम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । राजनीतिक हित पहले, रिश्तेदारी बाद में। रिश्ते में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के समधी एवं सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बिहार के गठबंधन से किनारा कर यह साफ कर दिया है। बिहार में न तो सपा की जमीन बहुत उर्वरा है और न ही महागठबंधन में उसको सीटें देने में कोई सम्मान दिया गया। ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए केंद्र सरकार से रिश्ते खराब करने में सपा नेतृत्व को कोई समझदारी नहीं दिखी।

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लिहाजा उत्तर प्रदेश में विकास के लिए केंद्र के सहयोग और अपनी जमीन मजबूत करने के लिए मुलायम ने बिहार के जनता गठबंधन से नाता तोड़ने में जरा भी देर नहीं लगाई। वैसे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से सपा महासचिव रामगोपाल यादव की भेंट में ही इस फैसले के बीज पड़ने की बात कही जा रही थी।

ऐन चुनाव से पहले मुलायम सिंह के बिहार में महागठबंधन से अलग होने से भाजपा को दोहरा फायदा हुआ है। पहले तो बिहार में भाजपा विरोधी महागठबंधन की एकता को झटका लगा। भले ही सपा बिहार में बहुत ताकतवर न हो, लेकिन गठबंधन टूटने का संदेश तो गया ही। इसके अलावा यादव बहुल क्षेत्रों में अगर मुलायम ने भी इलाकाई मजबूत यादव क्षत्रपों को उतारा तो जो भी वोट कटेंगे, जाहिर तौर पर उसका फायदा राजग के खाते में जुड़ेगा। मुलायम राजनीति के जितने मंजे हुए खिलाड़ी हैं, उससे ये समझना मुश्किल नहीं है कि बिना सियासी नफा-नुकसान के आकलन के यह फैसला उन्होंने नहीं लिया है।

दरअसल, केंद्र सरकार के साथ नीतीश-लालू-सोनिया की तल्खी जिस मुकाम तक पहुंच गई है, उसमें मुलायम और उनकी पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता असहज हैं। उनकी सोच है कि बिहार में तो अभी चुनाव हैं। अगर महागठबंधन जीता भी तो उसमें सपा के लिए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। अलबत्ता, जिस तरह का बिहार में कांटे का मुकाबला है, उसमें कुछ कहना मुश्किल है। फिर सपा की असली चिंता उत्तर प्रदेश को लेकर है। अभी वहां चुनाव को दो साल हैं। ऐसे में अभी से केंद्र सरकार से तल्खी मोल लेकर सपा सरकार को कुछ हासिल नहीं होता।

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से सपा महासचिव रामगोपाल यादव की मुलाकात भी हुई थी। उस मुलाकात से ही मुलायम के आज गुरुवार के फैसले का सूत्रपात हुआ। चूंकि, बिहार में जिस तरह से सपा को सीट बंटवारे में ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई, उससे पार्टी थोड़ा अपमानित भी महसूस कर रही थी। उत्तर प्रदेश में तमाम काम ऐसे हैं जो केंद्र के सहयोग के बिना संभव नहीं है। इसीलिए अपने राजनीतिक दूरगामी हितों के मद्देनजर सपा ने महागठबंधन से बाहर जाने का मन बना लिया था।

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