कैंटीन में सांसदों को मिलता रहेगा सस्ता खाना
संसद की कैंटीन में रियायती दर पर भोजन पर छिड़े विवाद के बावजूद सांसदों को सस्ते दर पर ही खाना मिलता रहेगा। इससे जुड़ी संसदीय समिति ने कहा कि भोजन के मूल्य में वृद्धि का कोई प्रस्ताव नहीं है। उसका तर्क है कि ऐसे कदम से कर्मचारी और मीडियाकर्मी प्रभावित
नई दिल्ली। संसद की कैंटीन में रियायती दर पर भोजन पर छिड़े विवाद के बावजूद सांसदों को सस्ते दर पर ही खाना मिलता रहेगा। इससे जुड़ी संसदीय समिति ने कहा कि भोजन के मूल्य में वृद्धि का कोई प्रस्ताव नहीं है। उसका तर्क है कि ऐसे कदम से कर्मचारी और मीडियाकर्मी प्रभावित होंगे।
संसद की खाद्य प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एपी जितेंद्र रेड्डी ने कहा, 'एक टीवी चैनल इस पर खूब शोरगुल मचा रहा है जिसमें खासतौर पर सांसदों को निशाना बनाया जा रहा है। यह इस तथ्य को जाने बगैर किया जा रहा है कि सांसद इसका सबसे कम उपयोग करते हैं।'
इस मुद्दे पर हो रहे विवाद पर अफसोस जताते हुए रेड्डी ने कहा कि आलोचक इस तथ्य को नजरंदाज कर रहे हैं कि रियायती दर पर खाना कुछ कॉरपोरेट संस्थानों की ओर से भी अपने कर्मचारियों को उपलब्ध कराया जाता है। क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां अपने कर्मचारियों को सुविधा देने के तहत ऐसा करती हैं।
रेड्डी ने बताया कि उन्होंने सोमवार को समिति की बैठक बुलाई है, लेकिन साथ ही जोर दिया कि दरों में परिवर्तन का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही इस मसले पर पर हो हल्ला मच रहा हो लेकिन समिति के आंतरिक सर्वेक्षण में यह पता चलता है कि सत्र के दौरान 800 में से महज 150 से 250 सांसद ही कैंटीन में खाना खाते हैं।
आमतौर पर साल में 100 दिन से भी कम दिन सत्र चलता है। कैंटीन का उपयोग सबसे अधिक संसद के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी और कार्यवाही को कवर करने वाले मीडियाकर्मी करते हैं।