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नए मापदंड पर फिट नहीं उत्तर भारत के ज्यादातर सरकारी स्कूल

अटल टिंकरिंग लैब को लेकर यह चौंकाने वाली जानकारी उस समय आई है, जब देश में 15 सौ और टिंकरिंग लैब खोले जाने है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 10:21 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 10:21 PM (IST)
नए मापदंड पर फिट नहीं उत्तर भारत के ज्यादातर सरकारी स्कूल
नए मापदंड पर फिट नहीं उत्तर भारत के ज्यादातर सरकारी स्कूल

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। स्कूली स्तर से ही बच्चों में कुछ नया करने की सोच को विकसित करने के लिहाज से सरकारी स्कूलों में खोले जा रहे अटल टिंकरिंग लैब के नए मापदंड से उत्तर भारत के राज्यों को झटका लग सकता है। यह इसलिए है, क्योंकि लैब की स्थापना के लिए सरकार ने जो नए मापदंड तय किए गए है, उनमें दक्षिण भारत के राज्यों को छोड़ दें, तो उत्तर भारत सहित देश का एक भी राज्य इसमें फिट नहीं बैठ रहा है। इन राज्यों के ज्यादातर सरकारी स्कूल उस मानक को पूरा नहीं कर पा रहे है।

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अटल टिंकरिंग लैब को लेकर यह चौंकाने वाली जानकारी उस समय आई है, जब देश में 15 सौ और टिंकरिंग लैब खोले जाने है। योजना के तहत यह लैब सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही खुलेगी। इसके लिए देश के सभी राज्यों से आवेदन मांगे गए थे। लेकिन इसके चयन के दौरान यह सामने आया है, कि लैब के लिए जो नए मापदंड तय किए है, उनमें तो उत्तर भारत सहित देश के ज्यादा राज्यों के स्कूल फिट ही नहीं बैठ रहे है।

रिपोर्ट में सिर्फ दक्षिण भारत के राज्यों को ही इस लिहाज से फिट पाया गया। जहां सरकारी स्कूल लैब के तय मानक को पूरा कर रहे है। पिछले दिनों अटल टिंकरिंग लैब योजना की प्रोग्रेस को जांचने के लिए मंत्रालय में रखी गई बैठक में यह जानकारी सामने आई है। हालांकि इसके बाद लैब के तय नए मापदंड में बदलाव करने को लेकर भी चर्चा हुई है।

देश में मौजूदा समय में करीब 941 सरकारी स्कूलों में यह लैब स्थापित हो चुकी है। हालांकि यह लैब सिर्फ केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में ही खोले गए है। योजना को विस्तार देते हुए इसे अब राज्यों के सरकारी स्कूलों में खोलने के लिए की योजना है। इसके तहत ही राज्यों से आवेदन मांगे गए थे। योजना के तहत लैब के लिए उपकरणों आदि का खर्च केंद्र सरकार अपनी ओर से वहन करता है। इस पूरी योजना को मानव संसाधन विकास मंत्रालय मदद दे रहा है।

लैब के लिए यह है मानक

लैब के लिए स्कूलों को जो मानक पूरे करने जरूरी है, उनमें स्कूलों में बिजली, जिसमें कम्प्यूटर सहित प्रयोग से जुड़े दूसरे उपकरण चल सके। साथ में बाई-फाई, पंखे, 25 से 30 बच्चों के बैठकर काम करने के लिए फर्नीचर, वाटर कूलर के अलावा प्रयोग से जुड़े उपकरणों को रखने की जगह आदि होना चाहिए। वहीं लैब कक्ष पूरी तरह से खुला और हवादार होना चाहिए।

क्या है टिंकरिंग लैब

इसके तहत स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ऐसे संसाधन मुहैया कराये जाते हैं, जिनके जरिए वे अपनी कल्पना को साकार करने की कोशिश करते हैं। सरकार का इरादा टिंकरिंग लैब के जरिए बच्चों में इनोवेशन और क्रिएशन को बढ़ावा देना है। इसके लिए लैब में शोध से जुडे़ वह सारे उपकरण मौजूद कराए जाएंगे जो उनकी मदद करे।

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