कब होगी स्थिति समान्य? तीन महीने बाद भी अधिकांश एटीएम बंद
अधिकांश एटीएम बंद चेक क्लियर होने में भी लग रहा है तकरीबन दस दिनों का समय..
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। नोटबंदी लागू होने के तीन महीने से ज्यादा का वक्त हो गया लेकिन दिल्ली समेत कई महानगरों व कुछ बड़े शहरों में नोटों की किल्लत अभी दूर नहीं हुई है। पिछले महीने के दूसरे पखवाड़े में देश के अधिकांश हिस्से में नोटों की किल्लत दूर हो गई थी लेकिन फरवरी के पहले दो हफ्ते में हालात फिर से खराब हो चुके हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में स्थिति है कि पांच फीसद एटीएम में भी नकदी नहीं है। केंद्रीय दिल्ली के कनाट प्लेस जैसे इलाके में भी स्थिति भिन्न नहीं है। इसकी वजह आधिकारिक तौर पर तो कोई नहीं बता रहा लेकिन बैंक वाले उत्तर प्रदेश में चल रहे चुनाव को दोषी मान रहे हैं।
चेक क्लियरिंग में हफ्ते से ज्यादा का समय
नकदी की किल्लत की वजह से बैंक चेक क्लियर करने में हफ्ते भर से ज्यादा का समय ले रहे हैं। एनसीआर में तमाम बैंकों ने यह नोटिस चिपका रखी है कि चेक क्लियर होने में सात से आठ कार्य दिवस लगेंगे। यानी नोटबंदी से पहले जो चेक दो से तीन दिनों में क्लियर हो जाता था अब तकरीबन दस दिन का समय लग रहा है। इस बारे में पूछने पर पंजाब नैशनल बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, ''चेक क्लियर में देरी होने के पीछे दो वजहें हैं। एक तो बैंक कर्मचारियों को आय कर विभाग के नोटिसों का जवाब देने में काफी वक्त लग रहा है और दूसरा, चेक की संख्या में चार से पांच गुणा बढ़ोतरी हो चुकी है।''
छोटे नोटों से नहीं चल पा रहा काम
बैंकों से बात करने पर यह बात सामने आ रही है कि आरबीआइ के करेंसी चेस्ट से पिछले दो से तीन हफ्तों से एनसीआर के बैंकों को 100, 50 व 20 के नोटों की आपूर्ति ज्यादा हो रही है। आइडीबीआइ बैंक के एक ब्रांच अधिकारी ने बताया कि, 'उसे जो 100 के नोट हाल के दिनों में मिले हैं वे इतने पुराने हैं कि उन्हें एटीएम में लगाया नहीं जा सकता। दो हजार के नोट सीमित मात्रा में आ रहे हैं लेकिन उन्हें बैंक ब्रांच सेवा में इस्तेमाल के लिए बचा कर रख रहा है।' यही वजह है कि सरकारी आंकड़ों में तो देश के सभी 2.20 लाख एटीएम नए 500 व 2000 के नोट वितरित करने लायक बनाये जा चुके हैं लेकिन असलियत में अभी भी मुश्किल से 10 फीसद एटीएम में ही नकदी लोड हो रही है।
कब होगी स्थिति समान्य
देश में नोटों की आपूर्ति कब तक समान्य हो पाएगी, इसको लेकर अभी तक न तो वित्त मंत्रालय और न ही रिजर्व बैंक साफ तौर पर कुछ कहने को तैयार है। आरबीआइ ने यह कहा है कि 13 मार्च, 2016 से खातों से नकदी आहरण पर लगी सभी पाबंदी हटा ली जाएगी। लेकिन 8 नवंबर, 2015 से 03 फरवरी, 2017 के बीच 10.25 लाख करोड़ रुपये की राशि बाजार में डाली गई है। सनद रहे कि यह राशि बाजार से 500 व 1000 रुपये के 15.46 लाख करोड़ रुपये की राशि को प्रचलन से बाहर करने के बाद डाली गई है। इस रफ्तार को आधार बनाकर ही पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक आलेख में यह लिखा है कि नोट आपूर्ति की स्थिति सितंबर, 2017 तक ही सामान्य हो पाएगी।
यह भी पढ़ेंः पीएफ पर 8.65 फीसद ब्याज को वित्त मंत्रालय की मंजूरी जल्द
यह भी पढ़ेंः भ्रष्ट रेल अफसर पर सीबीआइ ने दर्ज किया केस, 20 लाख रुपये का घूस लेने का आरोप