पढ़े-लिखे लोग ज्यादा सेवा करेंगे पंचायत की
नए पंचायती राज कानून को लेकर हरियाणा सरकार अड़ गई है। वो टस से मस होने को राजी नहीं है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नए कानून की तरफदारी करते हुए कहा है कि कानून संविधान सम्मत और प्रगतिशील है। इससे शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और पढ़े लिखे लोग
माला दीक्षित, नई दिल्ली। नए पंचायती राज कानून को लेकर हरियाणा सरकार अड़ गई है। वो टस से मस होने को राजी नहीं है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नए कानून की तरफदारी करते हुए कहा है कि कानून संविधान सम्मत और प्रगतिशील है। इससे शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और पढ़े-लिखे लोग पंचायत की ज्यादा सेवा करेंगे। राज्य सरकार ने ये बात कानून का विरोध करने वाली याचिका का जवाब दाखिल करते हुए अपने हलफनामे में कही है। इस मामले में बुधवार को सुनवाई होगी।
हरियाणा सरकार ने गत सात सितंबर को पंचायती राज संशोधन कानून पारित कर पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता कर दी है। नए कानून के मुताबिक बैंक कर्ज बकायेदार व बिजली बिल बकायेदार भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। जो लोग दस साल से ज्यादा सजा के गंभीर अपराधों में चार्टशीटेड हैं वे भी पंचायत चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं। तीन लोगों ने याचिका दाखिल कर नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 17 सितंबर को कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। जिसके बाद से हरियाणा में चल रही पंचायत चुनाव प्रक्रिया रुक गई है। हरियाणा सरकार ने जवाबी हलफनामे में कानून की तरफदारी करते हुए कहा है कि संशोधित कानून प्रगतिशील कानून है और ये कानून संविधान के अनुकूल है। इससे शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
नए कानून में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए चार नई शर्तें जोड़ी गई हैं, जो कि संविधान सम्मत हैं। उम्मीदवार गंभीर अपराध में चार्जशीटेड नहीं होना चाहिए। उस पर बिजली बिल या बैंक कर्ज का बकाया नहीं होना चाहिए और उसे पांचवी य दसवीं पास होना चाहिए। शिक्षा की अनिवार्यता की पैरोकारी करते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में 70 फीसद लोग पढ़े लिखे हैं, ऐसे मे यह कहना कि शिक्षा की शर्त लगाने से ज्यादातर लोग चुनावी प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे गलत है।
पंचायतों को प्रशासनिक व आर्थिक कामकाज भी देखना होता है, जैसा कि विधायक व सांसद के लिए नहीं होता है। पढ़ा-लिखा व्यक्ति चीजों को जल्दी समझ सकता है। बैंक कर्जदार या बिजली बिल बकायादारों के चुनाव लड़ने पर रोक से लोगों में एक संदेश जाएगा और वे बिजली बिल का भुगतान करेंगे। सरकार का कहना है कि संविधान में उसे पंचायत चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार की योग्यता अयोग्यता तय करने का अधिकार है। हालांकि दूसरी ओर याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के जवाब का प्रतिउत्तर दाखिल करते हुए नए कानून की खिलाफत की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नए कानून से ज्यादातर लोग प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे।