शिक्षा के विस्तार के लिए मिलने वाला पैसा अब नहीं होगा व्यर्थ
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई है।
जागरण ब्यूरो, नईदिल्ली। योजनाओं के क्रियान्वयन में फंड सबसे बड़ा विषय रहा है। ऐसे में शिक्षा के मौजूदा स्तर में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को पर्याप्त पैसा मुहैया कराने की दिशा कदम उठाया है। इसके तहत राज्यों को शिक्षा के विस्तार के लिए केंद्र से जो पैसा मिलेगा, अब वह लैप्स नहीं होगा। यानि इस पैसे का इस्तेमाल राज्य वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद भी कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने इसके अलावा शिक्षा के लिए एक अलग कोष को भी मंजूरी दी है, जिसे माध्यमिक और उच्च शिक्षा कोष (मस्क) नाम दिया है। फिलहाल इस कोष में सलाना तीन हजार करोड़ आने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई है। इसके तहत शिक्षा पर लगने वाले उपकर (सेस) का पैसा सीधे इस कोष में जमा होगा। खासबात यह है कि यह कोष राज्यों को शिक्षा के विस्तार के लिए मिलने वाली राशि से अलग होगा। लेकिन शत-प्रतिशत इस्तेमाल शिक्षा के विस्तार को लेकर ही किया जाएगा। वहीं इस कोष का रखरखाव व लेखा जोखा मानव संसाधन मंत्रालय के पास रहेगा। राज्यों की मांग और जरुरत के देखते हुए उन्हें कोष से पैसा दिया जाएगा। ध्यान रहे कि हाल में सीएजी ने शिक्षा पर लिए जाने वाले उपकर से मिलने वाले का पैसे के ठीक ढंग से इस्तेमाल न करने आरोप लगाया था।
इन कामों के लिए दिया जा सकेगा पैसा
केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा के लिए गठित कोष से फिलहाल जिन कामों के लिए पैसा मिल सकेगा, उनमें राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजना और कार्यक्रम, राष्ट्रीय संसाधन सह मेरिट छात्रवृत्ति योजना, माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों के लिए योजना के साथ ही उच्च शिक्षा के लिए ब्याज सब्सिडी, गारंटी निधियों में योगदान, विवि के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की योजनाएं, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान, शिक्षकों के प्रशिक्षण संबंधी राष्ट्रीय मिशन आदि काम को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा सर्व शिक्षा अभियान और मिड-डे मील के लिए भी इस कोष से पैसा लिया जा सकेगा।
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