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मोदी की टोकियो यात्रा में जापान से परमाणु करार की उम्मीद

मोदी 11-12 नवंबर को दो दिन की सरकारी यात्रा पर जापान जाएंगे। इस दौरान जापानी प्रधानमंत्री से शिखर वार्ता के दौरान परमाणु ऊर्जा संधि पर करार से लेकर रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर नए द्वार खुलने की संभावना है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 28 Oct 2016 08:21 PM (IST)Updated: Sat, 29 Oct 2016 04:35 AM (IST)
मोदी की टोकियो यात्रा में जापान से परमाणु करार की उम्मीद

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगले महीने की टोक्यो यात्रा के दौरान भारत और जापान के बीच लंबे समय से अटके परमाणु ऊर्जा सहयोग संधि पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद बढ़ गई है। मोदी 11-12 नवंबर को दो दिन की सरकारी यात्रा पर जापान जाएंगे। इस दौरान जापानी प्रधानमंत्री से शिखर वार्ता के दौरान परमाणु ऊर्जा संधि पर करार से लेकर रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर नए द्वार खुलने की संभावना है।

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पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री मोदी के पहली विदेश यात्रा पर जापान जाने की भी कूटनीतिक अहमियत है। पाकिस्तान के मित्र चीन से जापान की खटास किसी से छिपी नहीं है। जबकि भारत और जापान के बीच न केवल गहरे दोस्ताना रिश्ते हैं बल्कि जापानी पीएम शिंजो एबी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी मित्रता भी काफी प्रगाढ़ है। मोदी और शिंजो ने भी एक दूसरे से मित्रता के इस रिश्ते को हर मौके पर जाहिर भी किया है।

मोदी और शिंजो के बीच इस रिश्ते की वजह से ही प्रधानमंत्री की आगामी टोक्यो यात्रा के दौरान जापान के साथ लंबे समय से अटके परमाणु ऊर्जा सहयोग संधि पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। गौरतलब है कि यूपीए सरकार के समय से जापान से परमाणु तकनीक लेने के लिए इस समझौते का प्रयास कर रहा है। मगर एनपीटी पर भारत के हस्ताक्षर नहीं करने की वजह से इसमें अड़चन रही है। जापान का परमाणु अप्रसार कानून काफी सख्त है। इसमें एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देश के साथ परमाणु सहयोग के समझौते की गुंजाइश नहीं है। इसी वजह से 2014 में मोदी की बतौर पीएम पहली यात्रा के दौरान भी इस समझौते की राह नहीं बन पाई थी। कूटनीतिक सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि जापान से मिलने वाली परमाणु तकनीक का सैन्य इस्तेमाल नहीं करने का भरोसा देने के बाद जापान इस संधि के लिए राजी हो जाएगा।

मोदी और शिंजो के बीच यह तीसरी सालाना शिखर बैठक होगी। दक्षिण चीन सागर पर चीन की दबंगई के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अदालत का फैसला आने के मद्देनजर भी दोनों देशों के पीएम की यह द्विपक्षीय मुलाकात काफी मायने रखती है। समझा जाता है कि इस बैठक के दौरान भारत और जापान संयुक्त नौसैनिक अभ्यास व सहयोग को लेकर भी बात आगे बढ़ाएंगे। निसंदेह पीएम की इस यात्रा का एक बड़ा एजेंडा दोनों देशों के बीच आर्थिक व्यापार और सहयोग की गति को बढ़ाने पर भी होगा।

जापान भारत के सबसे बड़े आर्थिक सहयोगी और कारोबारी देशों में एक है। भारत की कई बड़ी महत्वाकांक्षी ढांचागत परियोजनाएं जापान के सहयोग से चल रही हैं। इसमें प्रधानमंत्री मोदी का एक ड्रीम प्रोजेक्ट मुंबई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन का है। इस यात्रा के दौरान इन सभी मसलों पर सहयोग को गति देने पर चर्चा तय है। पीएम मोदी अपनी दो दिन की यात्रा के दौरान जापान के सम्राट अखिहितो से भी मुलाकात करेंगे।

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