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मोदी और नीतीश: कितने दूर कितने पास

बीजेपी ने अभी पीएम पद के उम्मीदवार के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। उधर, माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड, बीजेपी पर इस बात को लेकर दबाव बना रही है कि वो जल्द से जल्द पीएम पद के उम्मीदवार का नाम तय करे। ऐसे में लग रहा है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच नरेंद्र मोदी के नाम पर चल रही खींच तान जल्द ही अंतिम शक्ल ले लेगी।

By Edited By: Published: Fri, 12 Apr 2013 08:24 AM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2013 08:36 AM (IST)
मोदी और नीतीश: कितने दूर कितने पास

नई दिल्ली। बीजेपी ने अभी पीएम पद के उम्मीदवार के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। उधर, माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड, बीजेपी पर इस बात को लेकर दबाव बना रही है कि वो जल्द से जल्द पीएम पद के उम्मीदवार का नाम तय करे। ऐसे में लग रहा है कि बीजेपी और जेडीयू के बीच नरेंद्र मोदी के नाम पर चल रही खींच तान जल्द ही अंतिम शक्ल ले लेगी। वैसे भी दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच बयानबाजी तो कई दिनों से चल रही है। खैर इन सब बातों को छोड़कर हम आपको ये बताते हैं कि मोदी और नीतीश के बीच के रिश्ते अब तक कैसे रहे हैं:

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मिठास:

-उन्नीस सौ छियानबे में नीतीश कुमार और जार्ज फर्नाडिस भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी बने। उस दौरान ये दोनों नेता समता पार्टी से जुड़े थे। इस पार्टी को बिहार में लोकसभा की छह सीटें मिली थीं। दोनों उन्नीस सौ निनानबे में राजग की गठबंधन सरकार का हिस्सा भी बने।

-2003 में शरद यादव के नेतृत्व वाले जनता दल के धड़े के साथ मिलकर जनता दल (यूनाइटेड) का गठन हुआ।

-बिहार में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले दल राजद को सत्ता से बाहर करने के साझे उद्देश्य के साथ जद (यू) और भाजपा ने हाथ मिलाया। 2005 और 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में गठबंधन को अप्रत्याशित सफलता मिली। दोनों दलों के गठबंधन वाली इस सरकार में बिहार पुष्पित पल्लवित हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश का बिहार विकास मॉडल चहुंतरफा सराहा गया।

खटास:

-दोनों राजनीतिक दलों के संबंधों को तब झटका लगा, जब 2010 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश की एक तस्वीर सामने आई। इससे नाराज नीतीश ने भाजपा के रात्रिभोज में जाने का अपना कार्यक्रम रद कर दिया।

-जून, 2012 में मोदी पर निशाना साधते हुए नीतीश ने कहा कि राजग को प्रधानमंत्री पद के लिए किसी धर्मनिरपेक्ष छवि वाले उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए।

कयास:

-लोकसभा में राजग के पास 151 सांसद हैं। 20 सांसदों के साथ जद (यू) भाजपा का सबसे बड़ा सहयोगी दल है। एक-दूसरे को रास आने और न आने के पीछे वोट बैंक और सत्ता की राजनीति है। केंद्र और राज्य दोनों जगह एक दूसरे के हित जुड़े हुए हैं। अल्पसंख्यक वोटों के आधार वाले जद (यू) की चिंता यही है कि नरेंद्र मोदी का विरोध ही उनके हित में है।

-कयास लगाया जा रहा है कि 2014 के अगले आम चुनाव में मोदी को अधिक तवज्जाो दिए जाने की स्थिति में

जद (यू) राजग से बाहर हो सकता है।

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