मोदी-ट्रंप केमिस्ट्री का जमीन पर दिखने लगा असर
आने वाले दिनों में ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी हस्तांतरण की होगी घोषणा...
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत व अमेरिका के रिश्तों को नई उंचाई पर ले जाने की जो सहमति पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बनी थी उसका जमीन पर असर दिखाई देना शुरु हो गया है। भारत व अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय और रणनीतिक मामलों पर रिश्तों को प्रगाढ़ करने के लिए नए सिरे से बातचीत शुरु करने का भी ढांचा बना लिया है। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने भारत की शिकायतों पर तेजी से फैसला लेना शुरु किर दिया है। अमेरिका ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि वह चीन के साथ भारत के चल रहे विवाद पर लगातार नजर रखे हुए है। ऊर्जा व विज्ञान क्षेत्र में तकनीकी हस्तांतरण के अहम फैसले जल्द होने के आसार हैं।
उक्त सूत्रों का कहना है कि 14 अगस्त, 2017 को पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की बात हुई है और उसके अगले ही दिन विदेश मंत्री स्वराज की अमेरिकी विदेश सचिव टिलरसन से लंबी बात हुई है। दोनो देश समझते हैं कि मौजूदा वैश्विक माहौल में द्विपक्षीय रणनीतिक रिश्तों को लेकर ज्यादा सक्रियता दिखानी होगी। स्वराज व रक्षा मंत्री अरुण जेटली और टिलरसन और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस की अगुवाई वाली रणनीतिक वार्ता का पहला दौर सितंबर के अंतिम सप्ताह में आयोजित होने के आसार हैं। उस समय संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक में भारत की अगुवाई विदेश मंत्री स्वराज करने के लिए अमेरिका जा सकती हैं। ऐसे में विचार है कि रक्षा मंत्री भी अमेरिका का दौरा करें और रणनीतिक वार्ता का श्रीगणेश किया जाए। यह वार्ता मोदी और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की तरफ से तय रणनीतिक व वाणिज्यिक डायलॉग की जगह लेगी। इस बार दोनों देशों ने कारोबार से जुड़े मुद्दों पर अलग से बातचीत करने का फैसला किया है ताकि पूरा फोकस रणनीतिक व विदेश नीति से जुड़े विषयों पर दिया जा सके।
आतंकवाद के खिलाफ मजबूत होगा साथ
सूत्रों के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई दोनो देशों के बीच भावी सहयोग के केंद्र में होगा। अमेरिका ने डेढ़ महीने के भीतर हिज्बुल के पाकिस्तान में छिपे कमांडर सैयद सलाहुद्दीन और हिज्बुल मुजाहिद्दीन पर प्रतिबंध लगा कर भारत की प्रमुख मांग को माना है। लेकिन यह शुरुआत है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को किस तरह से अमेरिका का साथ देना है इस पर नई रणनीतिक वार्ता में और विस्तार से बातचीत होगी। अमेरिका चाहता है कि भारत अफगानिस्तान जैसे देशों में आतंकवाद के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम में और मजबूती से शामिल हो। आतंकी गतिविधियों से जुड़ी तमाम जानकारियों को तेजी से साझा करने और उनके खिलाफ चलाये जाने वाले आपरेशनों में एक दूसरे की मदद करने संबंधी समझौते को भी अंतिम रूप दिया जाना है।
क्रूड का आयात शुरु, एलएनजी का अगले वर्ष से
अमेरिका पहले ही यह घोषणा कर चुका है कि भारत उसका सबसे करीबी ऊर्जा साझेदार देश होगा। लेकिन अब उसने भारत को ऊर्जा से जुड़ी अहम तकनीकी देने की पहल की है। इस क्रम में काफी समय से लटकी शेल गैस तकनीकी को भारत के साथ साझा किया जाएगा। सनद रहे कि पिछले हफ्ते ही भारत ने पहली बार अमेरिका से क्रूड खरीदने की शुरुआत की है। भारत के लिए क्रूड से लदा जहाज अमेरिका से रवाना हो चुका है। मार्च, 2018 से भारत को वहां से एलएनजी की आपूर्ति भी शुरु हो जाएगी। अमेरिकी कंपनियों की तरफ से भारत में लगाये जाने वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की राह की दिक्कतों को दूर करने के लिए जल्द ही त्रिपक्षीय वार्ता होगी जिसमें दोनों देशों के सरकारी प्रतिनिधियों के अलावा निजी कंपनियों के प्रतिनिधि भी होंगे।
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