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'पीएम मोदी संविधान के सिद्धांतों पर हो रहे प्रहार पर क्‍यों चुप है'

संविधान की प्रस्‍तावना से 'समाजवाद' और 'धर्मनिपेक्ष' शब्‍द हटाए जाने का मुद्दा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्‍य वृंदा करात ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'शांत' रहने पर सवाल उठाए हैं। एनडीए सरकार द्वारा कुछ दिनों पहले जारी किए गए

By T empEdited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 03:33 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 04:20 PM (IST)
'पीएम मोदी संविधान के सिद्धांतों पर हो रहे प्रहार पर क्‍यों चुप है'

चेन्नई। संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवाद' और 'धर्मनिपेक्ष' शब्द हटाए जाने का मुद्दा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'शांत' रहने पर सवाल उठाए हैं। एनडीए सरकार द्वारा कुछ दिनों पहले जारी किए गए एक विज्ञापन में समाजवाद और धर्मनिपेक्ष शब्द न होने के बाद इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया था।

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बता दें कि शिवसेना ने संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिपेक्ष और समाजवाद शब्दों को हटाने की मांग की थी। इस मोदी सरकार ने कहा था कि अगर कोई मतभेद है, तो संसद में इस मुद्दे पर बहस की जा सकती है। करात ने मोदी सरकार के इस रवैये पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा, 'पहले तो हमें इस बात की हैरानी है कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर चुप हैं, जबकि देश में धर्मनिपेक्षता के मुद्दे पर देश की अखंडता पर सवाल खड़ा हो रहा है।'

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महात्मा गांधी की 67वीं पुण्यतिथि के मौके 'धर्मनिपेक्ष भारत के समक्ष चुनौतियां और डर' के बैनर तले आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में करात ने कहा, 'यह गहन चिंतन का विषय है। एक ऐसी निर्वाचित सरकार जिसे 31 प्रतिशत से ज्यादा मत मिले हैं, वो संविधान के सिद्धांतों पर बहस कराने के लिए तैयार हो गई है।' बता दें कि भाजपा के सहयोगी शिवसेना ने संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिपेक्ष और समाजवाद शब्द को हटाने की मांग की थी। इस पर केंन्द्रीय आइटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बहस करने का सुझाव दिया था।

कुछ हिंदू नेताओं द्वारा नाथूराम गोडसे को हीरो बताने पर भी करात ने हैरानी जताई। उन्होंने कहा, 'जब पूरा देश महात्मा गांधी की शहादत को याद कर रहा है, ऐसे में कुछ लोग उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे का गुणगान कर रहे हैं। गोडसे का मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।'

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करात ने कहा कि ऐसे विचार हमें तोड़ते हैं। हिंदुत्व सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है जिसे कुछ पार्टियां समय-समय पर भुनाती हैं। यहां बराक ओबामा के सिरीफोर्ट में 27 जनवरी को दिए गए बयान का जिक्र करते हुए करात ने कहा कि बराक ओबामा ने सही कहा था कि अगर भारत धर्म के नाम पर बंटे बिना आगे बड़े तो बहुत ऊंचाइयों पर पहुंच सकता है।


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