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विदेश में भारतीयों से अपने पक्ष में नारे लगवा रहे मोदी : खुर्शीद

पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों में वहां रह रहे भारतीय लोगों को ले जाकर नारे लगवाए जा रहे हैं।

By Murari sharanEdited By: Published: Sun, 16 Nov 2014 08:38 PM (IST)Updated: Mon, 17 Nov 2014 12:16 AM (IST)
विदेश में भारतीयों से अपने पक्ष में नारे लगवा रहे मोदी : खुर्शीद

फर्रुखाबाद जागरण संवाददाता। पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों में वहां रह रहे भारतीय लोगों को ले जाकर नारे लगवाए जा रहे हैं। प्रवासी भारतीयों द्वारा प्रधानमंत्री का स्वागत करना कोई बड़ी बात नहीं है। मोदी को विदेश के राष्ट्राध्यक्षों व अन्य नेताओं को प्रभावित करना चाहिए, न कि भारतीयों को।

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दिल्ली रवाना होने से पहले शनिवार रात पत्रकारों से औपचारिक वार्ता में सलमान ने कहा कि प्रवासी भारतीयों से मिलना अच्छा है, लेकिन भारत मजबूत तभी होगा जब विदेशी राष्ट्राध्यक्षों व नेताओं को प्रभावित किया जाए। अमेरिका दौरे में भारत से ही गये बहुत से लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में नारे लगाये। प्रधानमंत्री पहले कहते थे कि जी-ट्वेंटी क्या होता है, जी-ऑल होना चाहिए, लेकिन अब नजरिया कैसे बदल गया।

कांग्रेस शासन में कहा जाता था कि घुटने टेक दिए, लेकिन चीन के राष्ट्रपति गुजरात में जब प्रधानमंत्री के साथ थे तब चीन की सेना भारत की सीमा में बनी रही, लेकिन विदेश मंत्री बोलीं यह तो छोटी बात है। पाकिस्तान के मामले में हमसे कहा जाता था कि मजबूती से जवाब नहीं दे रहे। भाजपा के सत्ता में आने के बाद सीमा पर कितनी गोलीबारी हुई, कितने जवान मारे गये, यह सभी को पता है, लेकिन सरकार कहती है कि मुंहतोड़ जवाब दे दिया। क्या जवाब दिया गया इसकी सफाई सामने क्यों नहीं रखी जाती। यह जरूर है कि देश पर कोई भी आंच आयेगी तो कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ खड़ी होगी।

दिल्ली में शीला दीक्षित को चुनाव से अलग रखे जाने के सवाल पर सलमान ने कहा कि शीला दीक्षित ने गवर्नर का पद ग्रहण किया था। बहुत से पूर्व राज्यपाल सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लेते। मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित द्वारा किए गए विकास कार्यो को दिल्ली के लोग आज भी याद करते हैं। उन्होंने कहा कि डीजल के मूल्यों में कमी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खपत कम होने के कारण हो रही है। केंद्र सरकार की 100 दिनों में कोई उपलब्धि नहीं दिखी। हालांकि सरकार को कुछ समय अवश्य दिया जाना चाहिए। यह समय छह माह या एक साल का भी हो सकता है।

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