Move to Jagran APP

सरकार के सौ दिन: मोदी सरकार ने बदला विदेश नीति का अंदाज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार ने अपनी उपलब्धियों का खाता ही विदेश नीति की कामयाबियों से खोला। पहली तिमाही में ही इस मोर्चे पर धुंआधार पारी से मोदी सरकार ने कई मायनों में भारतीय विदेश नीति का कलेवर और अंदाज बदल दिया। अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क मुल्कों के नेताओं को न्योता देने के

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 08:39 PM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 08:39 PM (IST)
सरकार के सौ दिन: मोदी सरकार ने बदला विदेश नीति का अंदाज

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार ने अपनी उपलब्धियों का खाता ही विदेश नीति की कामयाबियों से खोला। पहली तिमाही में ही इस मोर्चे पर धुंआधार पारी से मोदी सरकार ने कई मायनों में भारतीय विदेश नीति का कलेवर और अंदाज बदल दिया। अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क मुल्कों के नेताओं को न्योता देने के अभूतपूर्व कदम से लेकर कश्मीरी अलगाववादियों से मुलाकात पर पाकिस्तान से विदेश सचिव स्तर वार्ता रद करने जैसे फैसलों ने कूटनीति की पिच पर भारतीय बल्लेबाजी का तरीका बदल दिया।

loksabha election banner

चुनावों के दौरान अपनी प्रचार सभाओं में बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी अक्सर कहते थे कि उनकी अगुवाई में सरकार बनी तो भारत दुनिया के मुल्कों को न आंखें दिखाएंगा न किसी के आगे आंखें झुकाएगा, बल्कि आंखें मिलाकर बात करेगा। उस वक्त प्रचार का चुनावी नारा लगने वाली यह बात बीती एक तिमाही में मोदी सरकार की विदेश नीति का सूत्र वाक्य साबित हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में गर्मजोशी से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मेजबानी की तो वहीं सीमा पर पाक सेना की गोलीबारी और विदेश सचिव स्तर वार्ता से पहले कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात के रस्मी चोचले पर निर्णायक फैसला लेते हुए बातचीत रद करने में भी देर नहीं लगाई।

पड़ोसियों से रिश्तों की अहमियत के कूटनीतिक मंत्र का जमीनी अमल भी मोदी सरकार की पहली तिमाही में दिखा। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले विदेश दौरे के लिए जहां भूटान जैसे पड़ोसी को चुना, वहीं 17 साल के इंतजार के बाद भारतीय प्रधानमंत्री के नेपाल दौरे को भी अंजाम दिया। भारत में सबका साथ, सबका विकास का नारा बुलंद करने वाले मोदी ने इस सूत्र को सार्क पड़ोसियों के दरवाजे तक भी पहुंचाया। सार्क कुनबे में साझेदारी बढ़ाने का यह मंत्र भारत के लिए न केवल संभावनाओं के नए दरवाजे खोलेगा, बल्कि सरहद पर अमन भी मुकम्मल करेगा।

पहले सौ दिनों में विदेश नीति के मोर्चे पर सबकुछ गुलाबी रहा हो ऐसा भी नहीं था। सत्ता की पारी संभालने के एक महीने के भीतर ही मोदी सरकार को इराक में भारतीयों को बंधक संकट की चुनौती भी झेलनी पड़ी। बीते दो महीने से अधिक वक्त से अब भी 40 भारतीय इराक में आतंकियों के कब्जे में है। हालांकि इस बंधक संकट के बीच विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की अगुवाई में चले अभियान में विदेश मंत्रालय महिला नर्सो समेत सैकड़ों भारतीयों को सुरक्षित घर लौटाने में कामयाब हो गया। इजरायल-फलस्तीन विवाद पर पश्चिम एशिया संकट से लेकर खाड़ी में अब भी जारी उथल-पुथल के बीच उस इलाके में मौजूद बड़ी भारतीय आबादी की सुरक्षा भी भारत के लिए अहम चिंता का विषय है। इसके अलावा विश्व व्यापार संगठन के मोर्चे पर कृषि उत्पाद सब्सिडी को लेकर भारत के रुख ने भी निर्णायक तस्वीर ही पेश की।

बीते तीन महीनों की कामयाबियों ने आने वाली तिमाही में विदेश नीति कैलेंडर में दर्ज अंतरराष्ट्रीय बैठकों के लिए भी मजबूत नींव तैयार कर दी है। साल खत्म होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका, चीन और रूस जैसे बड़े मुल्कों के साथ द्विपक्षीय शिखरवार्ताओं का दौर पूरा कर चुके होंगे। मोदी को सिंतबर में अमेरिका जाना है, वहीं इसी माह भारत के सबसे बड़े पड़ोसी चीन के राष्ट्रपति की मेजबानी भी करनी है। सबकुछ ठीक चला तो नवंबर में मोदी का चीन दौरा भी संभव है। इसके अलावा मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी सालाना वार्ता होनी है।

पढ़ें : 100 दिन पर विशेष : जनता की नजर में मोदी सरकार पास

पढ़ें : 100 दिन में अच्छे दिनों की उम्मीदें जवान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.