'पहले शौचालय फिर देवालय' नारे पर अमल कराएंगे मुंडे
गांव की पंचायत से देश की सबसे बड़ी पंचायत (संसद) में पहुंचकर गांवों की सेवा का जो दायित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौंपा है, उसे पूरी शिद्दत से पूरा करूंगा। मोदी सरकार के नवनियुक्त ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे ने यह बात कही। उनका जोर मोदी के 'पहले शौचालय फिर देवालय' के नारे को लागू करने पर होगा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। गांव की पंचायत से देश की सबसे बड़ी पंचायत (संसद) में पहुंचकर गांवों की सेवा का जो दायित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौंपा है, उसे पूरी शिद्दत से पूरा करूंगा। मोदी सरकार के नवनियुक्त ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे ने यह बात कही। उनका जोर मोदी के 'पहले शौचालय फिर देवालय' के नारे को लागू करने पर होगा। मुंडे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के पुनर्गठन के संकेत देने के साथ ही नए भूमि अधिग्रहण कानून को लागू कराने का वादा भी किया।
पदभार संभालने के बाद मुंडे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गांवों की मूलभूत समस्याओं से वाकिफ होने के नाते उसे सुलझाने में भी मदद मिलेगी।
ग्रामीण विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पदभार संभालने के बाद मुंडे से मुलाकात की। मंत्रालय के विभिन्न विभागों और उनके बजट आवंटन का ब्योरा देते हुए मुंडे ने कहा कि स्वच्छता के लिए सिर्फ 3400 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जो बहुत कम है। इसके मुकाबले अन्य विभागों को अधिक तरजीह दी गई है, जो उचित नहीं है। उनकी कोशिश होगी कि आगामी बजट में इसमें बढ़ोतरी हो। सार्वजनिक शौचालयों के साथ हर घर में शौचालय बनाने पर जोर दिया जाएगा, जिसके लिए वित्तीय मदद भी मुहैया कराई जाएगी। स्वच्छता के साथ शुद्ध पेयजल को उच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
नवनियुक्त ग्रामीण विकास मंत्री मुंडे ने कहा कि गांवों को केंद्र मानकर योजनाएं बनाने की कोशिश की जाएगी। राष्ट्र की सबसे छोटी इकाई गांव के विकास से ही राष्ट्र का विकास संभव है। रोजगार और गांवों का विकास उनकी प्राथमिकता में होगा। पंचायती राज, स्वच्छता व पेयजल को भी ग्रामीण विकास मंत्रालय से जोड़ देने से योजनाओं के क्रियान्वयन में सहूलियत मिलेगी। योजनाओं के अमल की राह में आने वाली मुश्किलों को दूर करने और कामकाज में पारदर्शिता लाने की पूरी कोशिश की जाएगी।
ग्रामीण विकास की चर्चित मनरेगा के बारे में मुंडे ने कहा कि इससे लोगों को जहां रोजगार मिलता है, वहीं ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास होता है। इसे लागू करने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।