नजीब की आंच में सुलग रहा JNU, आंदोलनरत छात्रों ने छोड़ा छात्रसंघ का साथ
छह दिनों से लापता नजीब की तलाश अब भी जारी है। जेएनयू प्रबंधन का साथ देने का आरोप झेल रहा छात्रसंघ भी इस मामले में अलग-थलग पड़ गया है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दुनियाभर में अपने बेहतर अनुशासन और पठन पाठन के लिए प्रख्यात जेएनयू इन दिनों फिर से अशांत हो गया है। लापता छात्र नजीब अहमद के बाद यहां जो भी घटनाक्रम घटित हुआ वह शायद जेएनयू के इतिहास में कभी नहीं हुआ।
छह दिनों से लापता नजीब की तलाश में भले दिल्ली पुलिस ने पूरी ताकत लगा दी हो, लेकिन छात्रों का एक गुट नजीब के लौटने तक अपनेे आंदोलन को खत्म नहीं करने का मन बना चुका है।
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आंदोलनकारियों के निशाने पर कुलपति और छात्रंंसघ दोनों हैं। छात्रों ने लापता नजीब के लिए जेएनयू के कुलपति समेत दस लोगों को 21 घंटे तक बंधक बनाए रखा। मामले की गंभीरता को देखते हुुए गृह मंत्रालय को इसमें दखल देना पड़ा।
नजीब को लेकर चल रहे आंदाेलन में छात्र दो गुटों में बंट गए। छात्रसंघ अलग-थलग पड़ गया है। हालांकि, गृहमंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली पुलिस की विशेष टीम जांच में लगाई गई है। दिल्ली पुलिस बेहद गाेपनीय तरीके पूरे मामले की जांच कर रही है।
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अपहरण से आंदोलन तक
जेएनयू का छात्र नजीब उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले का रहना वाला है। 27 वर्षीय नजीब जेएनयू के माही मांडवी हास्टल में रहता था। 14 अक्टूबर की रात्रि हास्टल में कुछ छात्रों के बीच मारपीट हुई। इसके बाद छात्रावास में तनाव बढ़ गया। 15 अक्टूबर को नजीब अपना मोबाइल और पर्स छोड़कर हास्टल के कमरे से बाहर निकल गया। हालांकि उस दिन यानी 14 अक्टूबर को उसने अपने घर पर फोन किया था और मां से भी बात की थी।
15 अक्टूबर को जब देर रात तक वह हास्टल नहीं पहुंचा तो उसके गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई। इसके बाद से जेएनयू में प्रदर्शन शुरू हो गया। 18 अक्टूबर को एबीवीपी और जेएनयूएसयू दोनों ने संयुक्त रूप से कैंपस में प्रदर्शन किया।
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19 अक्टूबर को कुलपति ने नजीब के लौटने की अपील की तथा सीबीआइ सहित अन्य एजेंसियों से सहयता मांगी। रात्रि को छात्र संघ के नेतृत्व में छात्रों ने प्रशासनिक भवन में बंधक बनाया। उन्हें रातभर बंधक बनाकर रखा गया।
छात्रसंघ और छात्रों के बीच पड़ी दरार
नजीब को लेकर शुरू हुए आंदोलन में छात्रसंघ अौर छात्रों के बीच एक लंबी दरार पड़ गई है। दरअसल, कुलपति के बंधक बनाए जाने के बाद आंदोलन कर रहे छात्रों में दो गुट बंट गए। जेएनयू का छात्रसंघ कुलपति के पक्ष में खड़ा हुआ तो दूसरा गुट इसका विरोध कर रहा था। अभी भी छात्रों को एक गुट नजीब को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहा है।