भरपूर पैसा लेने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रदर्शन पर भी अब रहेगी निगाह
मंत्रालय स्तर पर इसे लेकर एक प्रणाली विकसित करने की तैयारी चल रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उच्च शिक्षण संस्थानों को दिए जाने वाले पैसे का ठीक तरीके से इस्तेमाल हो रहा है या नहीं, सरकार अब इसकी भी पड़ताल करेगी। मंत्रालय स्तर पर इसे लेकर एक प्रणाली विकसित करने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि यह प्रणाली अगले एक-दो महीने में तैयार हो जाएगी। इसके तहत उन सभी संस्थानों के प्रदर्शनों (परफार्मेस) की भी गहराई से जांच होगी, जिन्हें मौजूदा समय में केंद्र से वित्तीय मदद उपलब्ध कराई जा रही है। इनमें शोध (रिसर्च) कार्यो पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा।
देश के बड़ी संख्या में ऐसे संस्थान है, जिन्हें प्रतिवर्ष शोध सहित दूसरी अन्य गतिविधियों को संचालित करने के लिए बड़े पैमाने पर पैसा दिया जा रहा है, लेकिन इसका परिणाम बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं मिल रहा है। हाल ही में कुछ संस्थानों की आडिट में यह सामने आया है, कि वहां शोध जैसे कार्यो के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च हो रहे है, पर कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है। इसके बाद तो संस्थानों के काम-काज पर पैनी नजर रखने के लिए एक प्रणाली विकसित करने को सहमति बनी है। इसके तहत प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थानों की शैक्षणिक गतिविधियों और शोध कार्य के साथ वित्तीय स्थिति और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस किया जाएगा। मौजूदा समय में देश में करीब 41 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 23 आईआईटी और 31 एनआईटी है। जहां पर शोध कार्यो के काफी पैसा दिया जा रहा है।
यहां मिली खामियां
आडिट के दौरान मंत्रालय को जिन संस्थानों के प्रदर्शन को लेकर निराशा हाथ लगी, उनमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विवि जैसे संस्थान शामिल है। इन संस्थानों न तो शोध को बहुत अच्छा परिणाम दिख रहा है और न ही शोध का कोई ऐसा विषय था जो समाज और देश की मौजूदा समस्याओं को सुलझाने में मददगार की भूमिका निभाता हो।