किसानों को मुआवजा बढ़ाने को गठित हुई मंत्रियों की समिति
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से तबाह किसानों को तत्काल व अधिक से अधिक मदद पहुंचाने के लिए सरकार ने मंत्रियों के एक समूह का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। खेती के नुकसान पर दिये जाने वाले मुआवजे के मानक में संशोधन किया जा सकता है,
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से तबाह किसानों को तत्काल व अधिक से अधिक मदद पहुंचाने के लिए सरकार ने मंत्रियों के एक समूह का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। खेती के नुकसान पर दिये जाने वाले मुआवजे के मानक में संशोधन किया जा सकता है, जिसके तहत राहत की सीमा को बढ़ाया जाएगा। बेमौसम बारिश से होने वाले नुकसान को भी आपदा की श्रेणी में शामिल करने पर भी विचार किया जाएगा।
तीन सदस्यीय मंत्रियों में कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली को रखा गया है। कृषि मंत्री ने कहा कि फिलहाल हुए नुकसान की राहत राष्ट्रीय राहत कोष से दी जा रही है, जो बहुत कम है। केंद्र सरकार इसमें वृद्धि करना चाहती है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली यह समिति समूचे मामले पर विचार करने के लिए गठित की गई है।
पिछले सप्ताह वित्त मंत्री जेटली ने राजस्थान के बूंदी जिले में खेती में हुए नुकसान का जायजा लेने के बाद किसानों को आश्वस्त किया था कि सरकार मुआवजे में वृद्धि करेगी। राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से जिन मदों में राहत दी जाती है, उनमें 12 मदों को रखा गया है। इनमें ओलावृष्टि, बाढ़, चक्रवात, बादल फटने, सूखा, भूकंप, सुनामी और भूस्खलन, बर्फ स्खलन, अग्निकांड, रोगों का प्रकोप, पाला गिरने को शामिल किया गया है।
प्राकृतिक आपदा के मानक में राज्य सरकारें राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) से पीडि़त किसानों को मुआवजे का भुगतान करती है। इसमें असिंचित खेती के नुकसान पर प्रति हेक्टेयर 4500 रुपये, सिंचित नौ हजार रुपये और बागवानी के नुकसान पर 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के मुआवजे का प्रावधान है। लेकिन यह मुआवजा तभी दिया जाएगा, जब फसल का 50 फीसद अथवा इससे अधिक का नुकसान हो गया हो।
फरवरी के आखिरी सप्ताह से रुक रुक कई बार हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से चालू रबी सीजन में 1.06 करोड़ हेक्टेयर खेतों में खड़ी फसल के नुकसान का अनुमान है। इससे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में खेती के क्षतिग्रस्त होने की खबरें हैं। नुकसान का यह आंकड़ा राज्यों की ओर से भेजा गया है।
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