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खनन माफिया ने मगरमच्छ को धमाके से उड़ाया

माफिया ने बसई रेत खदान पर उत्खनन में बाधा डाल रहे एक मगरमच्छ को डायनामाइट से उड़ा दिया। इसके बाद उसे 8 फीट गहरे गड्ढे में गाढ़ दिया। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मगरमच्छ को गड्ढे से निकालकर अपने साथ ले गई।

By anand rajEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 08:19 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2015 08:32 AM (IST)
खनन माफिया ने मगरमच्छ को धमाके से उड़ाया

ग्वालियर,भितरवार। माफिया ने बसई रेत खदान पर शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे उत्खनन में बाधा डाल रहे एक मगरमच्छ को डायनामाइट से उड़ा दिया। इसके बाद उसे 8 फीट गहरे गड्ढे में गाढ़ दिया। जब ग्रामीणों को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने वन विभाग को सूचना दी। शाम करीब 4 बजे वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मगरमच्छ को गड्ढे से निकालकर अपने साथ ले गई।

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सिंध नदी के बसई घाट पर पिछले कई दिनों से रेत माफियाओं की ओर से अवैध उत्खनन किया जा रहा है। कुछ दिनों पूर्व नदी में पनडुब्बियां डाले जाने पर रेत माफिया को वहां एक मगरमच्छ दिखाई दिया, जिसके कारण वह नदी में पनडुब्बी नहीं डाल पा रहे थे। शुक्रवार सुबह उत्खनन में बाधक बन रहे मगरमच्छ को मारने के लिए रेत माफिया ने नदी में डायनामाइट से विस्फोट किया, जिससे मगरमच्छ की मौत हो गई। मगरमच्छ की लंबाई करीब पांच फीट बताई गई है। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मगरमच्छ को गाड़ी में डालकर अपने साथ ले गई।

कोई न देखे इसलिए गड्ढे में गाढ़ दिया

ग्रामीण बताते है कि रेत माफिया ने मगरमच्छ को मारने के बाद 8 फीट गहरे गड्ढे में गाढ़ दिया, ताकि किसी को पता नहीं लगे। लेकिन रेत खदान पर मगरमच्छ मारे जाने की सूचना जंगल में आग की तरह फैल गई और ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी।

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बसई गांव के पास सिंध नदी से टीम ने मृत मगरमच्छ को अपनी सुरक्षा में ले लिया है। 18 अप्रैल को सुबह मगरमच्छ का पोस्टमार्टम माधव नेशनल पार्क के डॉक्टर द्वारा किया जाएगा।

-अतुल खेरा, वन संरक्षक वनमंडल ग्वालियर

क्यों महत्वपूर्ण है मगरमच्छ

मगरमच्छ नदी के इको सिस्टम को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दुनियाभर में इनकी 20 से अधिक प्रजातियां हैं। इनके चार उपगणों में से तीन लुप्त हो चुके हैं। हमारे देश में चम्बल, गिरवा, गंगा, यमुना, काली, कोसी, गांडक नदियों में यह पाए जाते हैं। देश में वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत इन्हें संरक्षित घोषित किया गया है। मप्र में इसी अधिनियम के तहत चम्बल नदी पर अभयारण्य बनाया गया है।

साभारः नई दुनिया

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