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सेना का कद बढ़ा, बौने हुए विरोधी

जिन पर पत्थर बरसाए, जिसे कश्मीर से निकालने के नारे लगाए, मुसीबत की घड़ी में वही फौजी पानी से भरी अपनी बैरकों में बंदूक छोड़ बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने आए। करीब दो सप्ताह के मेघ राहत अभियान के दौरान अढ़ाई लाख लोगों को बचाने के साथ टूटे दर्जनों पुल बनाने वाली सेना ने मानवता की मिसाल

By Edited By: Published: Sun, 21 Sep 2014 10:20 PM (IST)Updated: Sun, 21 Sep 2014 10:20 PM (IST)
सेना का कद बढ़ा, बौने हुए विरोधी

जम्मू [विवेक सिंह]। जिन पर पत्थर बरसाए, जिसे कश्मीर से निकालने के नारे लगाए, मुसीबत की घड़ी में वही फौजी पानी से भरी अपनी बैरकों में बंदूक छोड़ बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने आए। करीब दो सप्ताह के मेघ राहत अभियान के दौरान अढ़ाई लाख लोगों को बचाने के साथ टूटे दर्जनों पुल बनाने वाली सेना ने मानवता की मिसाल कायम कर दी है। बदले में कश्मीरी आवाम ने गुमराह करने वालों को आइना दिखा सेना जिंदाबाद के नारे लगाए।

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कश्मीर में विनाशकारी बाढ़ ने सेना का कद बढ़ा दिया। आतंकवाद, अलगाववाद को शह देने वालों की कमर टूटी व सेना हटाने की मांग को लेकर कश्मीर में लोगों के बीच जाने की तैयारी कर रही नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी से एक चुनावी मुद्दा छिन गया। बाढ़ से प्रभावित कश्मीर के आम लोग अब सेना के कृतज्ञ हैं जिससे पाकिस्तान की शह पर काम करने वाले तत्वों को गहरा आघात लगा है। पांच साल सेना की वापसी का मुद्दा उठाने वाले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सेना का आभार जता रहे हैं।

मुसीबत आने पर कश्मीर के लोगों को अपने, बेगाने का अंदाजा हो गया है। यह कहना है सेना के सेवानिवृत मेजर जनरल जीएस जम्वाल का। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान प्रायोजित अलगाववादियों का सच लोगों के सामने आया है साथ ही कश्मीर केंद्रित पार्टियों के पांच साल के सेना विरोधी दुष्प्रचार का सच भी पूरे घटनाक्रम पर नजर रखने वाले अन्य देशों के निवासियों के सामने आ गया। अब सेना की सराहना करना कश्मीर केंद्रित पार्टियों की मजबूरी है।

बाढ़ प्रभावित लोगों को जीने की राह दिखाने वाली सेना अब कश्मीर के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने में जुटी है। ऑपरेशन मेघ राहत संपन्न होने के बाद सेना अपने बादामी बाग छावनी, अन्य सैन्य संस्थानों में नुकसान की भरपाई करने में जुट गई है। पहले इस नुकसान को नजरअंदाज कर तीस हजार के करीब सैनिक आवाम को बचाने के लिए जान हथेली पर लेकर कार्य कर रहे थे।

सीमावर्ती राज्य की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की उत्तरी कमान ने ऑपरेशनल कमान होने के बावजूद तीस हजार सैनिकों को विशेष रूप से लोगों को बचाने के लिए भेज दिया।

उत्तरी कमान के पीआरओ डिफेंस कर्नल एसडी गोस्वामी ने कहा कि भले ही ऑपरेशन मेघ राहत खत्म हो गया है लेकिन सेना सड़क संपर्क बनाने और अन्य मुश्किलों को दूर करने में जुटी हुई है। बाढ़, बारिश से सेना को खुद भी नुकसान हुआ था, इसके बावजूद सेना की पंद्रह व सोलह कोर ने सारी शक्ति लोगों को बचाने पर केंद्रित कर दी। सेना ने साबित कर दिया कि देशवासियों की जान बचाना सेना की प्राथमिकता है।

कश्मीर से जम्मू आए फैयाज कहते हैं, मेरी तीन महीने की बच्ची को सेना ने बचाया। मैं ताउम्र सेना का आभारी रहूंगा। वह ही नहीं सभी बाढ़ प्रभावित लोग भूल नहीं सकते हैं कि जब कश्मीर में सरकार, प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं थी तो सेना फरिश्ता बनकर आई थी। उन्होंने कहा कि जो लोगों ऐसे हालात में भी सेना पर पत्थर बरसा रहे थे, वे असल में प्रभावित नहीं जनविरोधी थे।

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