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चौथी बार जर्मनी की चांसलर बनेंगी एंगेला मर्केल, पहली बार सबसे कम वोट मिले

जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल लगातार चौथी बार चुनाव तो जीत गई हैं, लेकिन गठबंधन सरकार बनाना उनके लिए कठिन हो गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 26 Sep 2017 03:15 AM (IST)Updated: Tue, 26 Sep 2017 01:20 PM (IST)
चौथी बार जर्मनी की चांसलर बनेंगी एंगेला मर्केल, पहली बार सबसे कम वोट मिले
चौथी बार जर्मनी की चांसलर बनेंगी एंगेला मर्केल, पहली बार सबसे कम वोट मिले

बर्लिन, रायटर। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल लगातार चौथी बार चुनाव तो जीत गई हैं, लेकिन गठबंधन सरकार बनाना उनके लिए कठिन हो गया है। इस बार न सिर्फ उनसे बहुत सारे मतदाता छिटक गए, बल्कि साझेदार भी नए बनाने होंगे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुए चुनावों पर नजर डाली जाए तो उनकी कंजर्वेटिव पार्टी-क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) को पहली बार इतने कम मत हासिल हुए हैं। उनकी पार्टी को 32.9 फीसद मत मिले हैं, जो पिछली बार की अपेक्षा 8.5 फीसद कम हैं। लेकिन उनका दल संसद में सबसे बड़ा होकर उभरा है। अब जो समीकरण दिखाई दे रहे हैं, उनमें सत्तारूढ़ होने के लिए मर्केल को उन दलों के साथ गठजोड़ करना पड़ेगा जिनसे उनकी विचारधारा अलग है।

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एंगेला मर्केल चौथी बार जर्मनी की चांसलर बनेंगी, लेकिन यह खासा चुनौतीपूर्ण होने वाला है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुए चुनावों में उनकी पार्टी कंजर्वेटिव क्रिश्चियन यूनियन को इस बार सबसे कम मत हासिल हुए हैं। सत्ता के लिए मर्केल को उन दलों के साथ गठजो़ड करना प़़डेगा जिससे उनकी विचारधारा अलग है। 

-क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन को 32.9 फीसद मत ही मिले

-अब विरोधी विचारधारा की पार्टियों से करना होगा गठजोड़

-13 फीसद मत पाकर धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी बनी तीसरी ताकत

मर्केल के लिए एक और चुनौती यह भी है कि इस्लाम विरोधी धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) पहली बार संसद में पहुंच गई है। 13 फीसद वोट लेकर एएफडी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 2015 से दस लाख शरणार्थियों को जर्मनी में प्रवेश की इजाजत देने के कारण एएफडी के नेता चांसलर मर्केल को देशद्रोही कहते रहे हैं। पार्टी ने मर्केल की आव्रजन और शरणार्थी संबंधी नीति को लेकर अब भी विरोध जारी रखने का एलान किया है। इस बार मर्केल की पार्टी की तरह मध्य-वाम सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) भी कमजोर हुए। सोशल डेमोक्रेट्स के नेता मार्टिन सेल्ज ने पार्टी की हार मान ली है। एसपीडी को 20.8 फीसद मत मिले हैं। ऐसे में सेल्ज ने विपक्ष में रहने का एलान कर दिया है। इससे पहले उनकी पार्टी मर्केल की अगुआई वाली गठबंधन सरकार में शामिल रही है। 

ये रहे मुद्दे 
मर्केल 12 साल से सत्ता में हैं। उन्होंने प्रचार अभियान में अपने शासनकाल में देश में निम्न बेरोजगारी, मजबूत आर्थिक वृद्धि, संतुलित बजट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब़़ढते महत्व जैसी उपलब्धियों पर जोर दिया। 

एएफडी ने किया सभी को भौचक

अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी [ एएफडी ] तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। नाजियों से संपर्क के लिए कुख्यात रहे दल के प्रदर्शन से सारे नेता भौचक हैं। एएफडी को 13 फीसदी मत मिले हैं। 

भारत जर्मनी संबंध ऐसे

-भारत जर्मनी के बीच पिछले वर्ष 1344 अरब रुपए का व्यापार हुआ। 
-जर्मनी, ब्राजील, जापान भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संयुक्त रूप से सुधार की मांग की है। 
-सौर ऊर्जा और ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के लिए जर्मनी 7700 करो़ड रुपए की सहायता करने का वादा किया है। 

जमैका गठबंधन के आसार

चौथी बार सत्ता में आने के लिए मर्केल को परस्पर विरोधी विचारधारा वाली फ्री डेमोक्रेट्स पार्टी (एफडीपी) से गठजोड़ करना होगा। इस गठजोड़ को जमैका का नाम दिया जा रहा है, क्योंकि पार्टियों के रंग जमैका देश के झंडे से मिलते हैं। मर्केल ने कहा, 'हमें नई सरकार बनाने का जनादेश मिला है और हमारे खिलाफ कोई दूसरी सरकार नहीं बन सकती।' उन्होंने कहा, 'मौजूदा समय में हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अस्थिर समय में रह रहे हैं। मेरा इरादा जर्मनी में एक स्थिर सरकार बनाने का है।'

निवेशकों को हुई चिंता

निवेशक जमैका गठबंधन को लेकर चिंता में हैं। उनका मानना है कि बेमेल दोस्ती मर्केल को कमजोर करने जा रही है। ये टिकाऊ भी नहीं होने वाली। उनका मानना है कि यूरोपीय संघ से अलगाव को लेकर ब्रिटेन से चल रही वार्ता मर्केल के कमजोर होने से प्रभावित होने वाली है, क्योंकि पहले उन्हें खुद को स्थायित्व देना है।

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