कश्मीर में तिरंगे के डंडे को कंधा देने वाला कोई नहीं होगा: महबूबा मुफ्ती
अनुच्छेद 35(A) में किसी तरह के हेरफेर के खिलाफ जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी दी है।
नई दिल्ली (एएनआई)। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने संविधान के अनुच्छेद 35(A) में बदलाव के मुद्दे को उठाते हुए चेतावनी दी कि अगर इसमें बदलाव होता है तो कश्मीर में तिरंगे की सुरक्षा के लिए कोई आगे नहीं आएगा। नई दिल्ली में ‘अंडरस्टैंडिंग कश्मीर : ए कंपोजिट डॉयलॉग ऑन पीस, स्टैबिलिटी एंड द वे फॉरवर्ड’ पर कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि नेतृत्व के मामले में वह बेजोड़ हैं, लेकिन आज जरूरत है कि दोनों सरकारें साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर को मौजूदा संकट से बाहर निकालें। इसके अलावा उन्होंने इंदिरा गांधी को भी याद किया और कहा कि उनके लिए भारत का अर्थ इंदिरा थीं।
भारत का मतलब इंदिरा गांधी
महबूबा ने कहा कि जब वह होश संभाल रही थीं तो उनके लिए भारत की प्रतिनिधि इंदिरा गांधी थीं। कुछ लोगों को इससे परेशानी हो सकती है, लेकिन यह सच है कि भारत का मतलब इंदिरा गांधी है। उनका इशारा नेहरू-गांधी परिवार के प्रति संघ परिवार की चिढ़ को लेकर था।
अनुच्छेद 35ए में बदलाव सरासर गलत
मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करना सरासर गलत होगा। अगर ऐसा हुआ तो तिरंगे को यहां थामने वाला कोई नहीं होगा। यहां के लोग विशेष प्रकृति के हैं। वह भारत में रहते हैं, क्योंकि यही एक देश है जहां हिंदू-मुस्लिम एक साथ प्रार्थना करते हैं। यहां भगवान की मूर्ति को मुस्लिम कलाकार अपने हाथों से तराशते हैं। उनका कहना था कि विविधता के मामले में कश्मीर को छोटा भारत कहा जा सकता है।
सीमा पार लोगों से संवाद का इशारा
मुफ्ती के अनुसार, आज के दौर में जरूरत है कि कश्मीर में गूंज रहे आजादी के नारे को किसी दूसरे वाक्य से तब्दील किया जाए। उन्होंने इशारों में कहा कि सीमा पार रह रहे लोगों के साथ संवाद बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने टीवी पर कश्मीर को लेकर चलने वाले डिबेट पर कहा कि ये लोग गलत तस्वीर बयान कर रहे हैं। उनका कहना था कि जिन लोगों ने विभाजन के बाद भारत को अपना देश माना और जो आम चुनावों में शिरकत करते आ रहे हैं, उन्हें कमजोर करना राष्ट्रीयता के लिहाज से गलत होगा।
खतरे में होगा तिरंगा
उन्होंने कहा, ‘संविधान के धारा 370 से हमें विशेष दर्जा मिला है। अनुच्छेद 35 ए सुप्रीम कोर्ट में है और उसमें बदलाव के लिए चर्चा की जा रही है तो मैं यह स्पष्ट कर दूं कि अगर इसमें बदलाव होता है तो जो कश्मीर में इतने खतरों को झेलते हुए देश के तिरंगे की रक्षा कर रहे हैं, वे वहां नहीं रुकेंगे और इसके बाद तिरंगे को कंधा देने वाला भी कोई नहीं होगा। इस धारा में किसी तरह के हेरफेर को मंजूरी नहीं दी जाएगी।‘
सैन्यबल का मनोबल होगा कमजोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के प्रावधान लागू कर आप अलगाववादियों पर निशाना नहीं साध रहे बल्कि उन सैन्यबल को कमजोर कर रहे हैं जिन्होंने भारत को स्वीकृत कर चुनावों में हिस्सा लिया है। वे जम्मू कश्मीर को भारत के साथ मिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। आप उन्हें कमजोर बना रहे हैं।
अनुच्छेद 35ए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
बता दें कि ‘वी द सिटिजंस’ नामक एनजीओ द्वारा इस याचिका को चुनौती दी गयी। इस याचिका में संविधान के अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि इन प्रावधानों के चलते जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के कई लोगों को उनके मौलिक अधिकारों तक से वंचित कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए तीन जजों की एक पीठ गठित करने की बात कही है जो छह हफ़्तों के बाद इस पर सुनवाई शुरू करेगी।
जानें, धारा 35 (ए) के प्रावधान
जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां नौकरी नहीं कर सकता है, संपत्ति नहीं खरीद सकता है, राज्य सरकार द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई नहीं कर सकता है। यदि जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की दूसरे राज्य में विवाह करेगी तो उसकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाएगी।
कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा दिया गया। इसका मकसद कश्मीर के लोगों की अलग पहचान को बरकरार रखना था। इसके तहत सिर्फ रक्षा, विदेश नीति, वित्त और संचार जैसे मामलों में ही भारत सरकार दखल दे सकती है। राज्य की नागरिकता और अन्य मौलिक अधिकार राज्य के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इसकी वजह से ही इस राज्य का अलग झंडा और प्रतीक चिह्न है। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में राष्ट्रपति को प्राप्त शक्तियों के माध्यम से धारा 35 ए अधिसूचित कराई, जो कश्मीर में रहने वाले भारत के नागरिकों और भारत के अन्य नागरिकों के बीच भेदभाव को और मजबूत करता है।
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