Move to Jagran APP

एच1बी वीजा पर विदेश मंत्रालय का बयान- आदेश पास होने के बाद होगा फैसला

ट्रंप प्रशासन ने इस पर भारत के एतराज को परे रखते हुए एच1बी वीजा करने की प्रक्रिया सख्त कर दी है।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Thu, 20 Apr 2017 05:19 PM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 05:21 PM (IST)
एच1बी वीजा पर विदेश मंत्रालय का बयान- आदेश पास होने के बाद होगा फैसला
एच1बी वीजा पर विदेश मंत्रालय का बयान- आदेश पास होने के बाद होगा फैसला

नई दिल्‍ली, जेएनएन। एच1बी वीजा पर प्रतिबंध लगाने की बात पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी की थी, लेकिन भारत ने तब उन्हें मना लिया था। ट्रंप प्रशासन ने इस पर भारत के एतराज को परे रखते हुए एच1बी वीजा करने की प्रक्रिया सख्त कर दी है। इससे न सिर्फ भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती बढ़ गई है, बल्कि देश की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए भारी मुसीबत पैदा हो गई है।

loksabha election banner

वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता गोपाल बाग्‍ले ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि इंडस्‍ट्री इकाइयों से बातचीत चल रही है। एक बार अमेरिका का यह कार्यकारी आदेश पास हो जाए, तब इस संबंध में हुए बदलाव पर विस्‍तार से देखेंगे और फैसला लेंगे। 

वहीं अमेरिका रवाना हो रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वहां इस मुद्दे को उठाने की बात कही है तो भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में बढ़ती लागत से निपटने के उपाय खोजने शुरू कर दिए हैं। भारतीय आइटी कंपनियों में बेहद प्रसिद्ध एच1बी वीजा देने पर नई व्यवस्था लागू करने के प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को हस्ताक्षर कर दिए हैं।

हर वर्ष 80-90 हजार वीजा जारी करता है अमेरिका

हर वर्ष अमेरिका की तरफ से इस श्रेणी के 80-90 हजार वीजा जारी किये जाते हैं। इसका सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय आइटी कंपनियों को मिलता है। अमेरिका की नई व्यवस्था के लिए बेहद प्रशिक्षित लोगों को ही यह वीजा मिलेगा और उन्हें ज्यादा वेतन भी कंपनियों को देना होगा। यह इसलिए किया गया है, ताकि आइटी कंपनियां भारतीय आइटी इंजीनियरों को वहां ले जाने के बजाय स्थानीय अमेरिकियों को ही नौकरी दें। जो भी हो इससे लागत बढ़ेगी और देशी आइटी कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा। इंफोसिस, टीसीएस जैसी देश की दिग्गज आइटी कंपनियों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा (60 फीसद तक) अमेरिका से आता है। कहने की जरूरत नहीं कि इससे इन कंपनियों पर काफी वित्तीय असर पड़ेगा।

पिछले तीन महीने से भारत लगातार उठा रहा है यह मुद्दा

गुरुवार को अमेरिका रवाना हो रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि वहां के अधिकारियों के साथ इस मसले पर बात होगी। वैसे पिछले तीन महीने से लगातार भारत इस मुद्दे को अमेरिकी प्रशासन के समक्ष विभिन्न स्तर पर उठाता रहा है लेकिन जाहिर है कि उसका नतीजा नहीं निकला है। इसके असर के बारे में भारतीय आइटी कंपनियों के सबसे बड़े संगठन नासकॉम ने कहा है कि इसके दूरगामी असर होंगे। वैसे चालू वित्त वर्ष के दौरान मौजूदा वीजा व्यवस्था ही जारी रहेगी और इसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीय आइटी कंपनियां ही उठाएंगी। लेकिन अगले वर्ष से हालात बदल सकते हैं। नासकॉम ने इस बारे में अमेरिका के सामने अपना पक्ष रखने के लिए एक समिति भी बनाई है।

भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ेगा असर

एक अन्य उद्योग चैंबर एसोचैम ने कहा है अमेरिकी सरकार के नए कदम से भारतीय आइटी कंपनियां नौकरियों में छंटनी कर सकती हैं। अभी तक लागत कम होने से ही अमेरिका में भारतीय कंपनियों का परचम लहरा रहा था लेकिन दूसरे देश की कंपनियां भारत का हिस्सा खा सकती हैं। अभी 86 फीसद तक एच1बी वीजा भारत को मिलता है जो घट कर 60 फीसद हो सकता है। भारत सॉफ्टवेयर निर्यात से 100 अरब डॉलर की कमाई करता है जिस पर असर पड़ेगा। कुछ भारतीय कंपनियों ने कहा भी है कि वे अमेरिका के लिए अपनी नई रणनीति बनाएंगी जिसमें स्थानीय प्रतिभाओं को भारत से ज्यादा तरजीह दी जाएगी।

यह भी पढ़ें: जब राजनाथ को आया गुस्सा, 12 मिनट की देरी पर ली अफसरों की क्लास


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.