मेडिकल कालेज मान्यता मामला: जस्टिस एसएन शुक्ला पर महाभियोग की तैयारी
महाभियोग की प्रक्रिया में जज को पद से हटाने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए प्रस्ताव पर 100 सांसदों का हस्ताक्षर होना चाहिए जबकि राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव की जरूरत होती है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। मेडिकल कालेज मान्यता मामले में जांच के घेरे में आये इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसएन शुक्ला की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। उन्हें पद से हटाने के लिए संसद में महाभियोग आ सकता है। तीन न्यायाधीशों की जांच में जस्टिस शुक्ला को दोषी पाए जाने के बाद भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। मामला राष्ट्रपति के समक्ष विचाराधीन है। जस्टिस शुक्ला से न्यायिक कामकाज वापस लिया जा चुका है वे फिलहाल लंबी छुट्टी पर चल रहे हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज एसएन शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर लखनऊ के एक मेडिकल कालेज को 2017-18 के शैक्षणिक सत्र में छात्रों को प्रवेश देने की इजाजत दी थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कालेज को इस सत्र में प्रवेश लेने की इजाजत देने से मना कर दिया था। इस मामले में जज के खिलाफ शिकायत की इन हाउस प्रक्रिया अपनाते हुए सीजेआई दीपक मिश्रा ने जस्टिस शुक्ला पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपी थी जिसमें जस्टिस शुक्ला पर लगे आरोपों को सही बताया गया है।
रिपोर्ट में जस्टिस शुक्ला के खिलाफ टिप्पणियों के साथ उन्हे पद से हटाने की सिफारिश की गई है। प्रधान न्यायाधीश ने रिपोर्ट मिलने के बाद जस्टिस शुक्ला से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने या फिर पद से इस्तीफा देने को कहा था लेकिन जस्टिस शुक्ला ने प्रस्ताव ठुकरा दिया था, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिलीप भोसले से जस्टिस शुक्ला का न्यायिक कामकाज वापस लेने को कहा था। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जनवरी के अंतिम सप्ताह में जस्टिस शुक्ला से न्यायिक कामकाज वापस ले लिया था। इसके बाद से जस्टिस शुक्ला लंबी छुट्टी पर चल रहे हैं।
गत 2 फरवरी को प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने की अनुशंसा की है। जस्टिस शुक्ला के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा का यह पत्र फिलहाल राष्ट्रपति के समक्ष विचाराधीन है। जस्टिस शुक्ला पर कार्रवाई के बारे में प्रधान न्यायाधीश के राष्ट्रपति को पत्र भेजे जाने की पुष्टि एक आरटीआई के जवाब में राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से की गई है। पारस नाथ सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत गत 3 फरवरी को राष्ट्रपति सचिवालय को आनलाइन आवेदन भेजा था जिसमें पूछा था कि क्या भारत के प्रधान न्यायाधीश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसएन शुक्ला के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की कोई अनुशंसा राष्ट्रपति को भेजी है। उस अनुशंसा वाले पत्र पर क्या कार्रवाई हुई है।
पारस नाथ सिंह को राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से इशका जवाब गत 5 मार्च को प्राप्त हुआ। जिसमें राष्ट्रपति सचिवालय ने जस्टिस शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश का पत्र प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए कहा है कि जस्टिस श्री नारायण शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का प्रधान न्यायाधीश का गत 2 फरवरी का लिखा हुआ पत्र राष्ट्रपति सचिवालय को 5 फरवरी को प्राप्त हुआ। उस पत्र पर अभी विचार चल रहा है।
ये है जज को पद से हटाने की प्रक्रिया
महाभियोग की प्रक्रिया में जज को पद से हटाने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए प्रस्ताव पर 100 सांसदों का हस्ताक्षर होना चाहिए जबकि राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव की जरूरत होती है। प्रस्ताव के बाद आरोपों की जांच के लिए सदन के अध्यक्ष भारत के प्रधान न्यायाधीश से मशविरा करके तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करते हैं जो कि आरोपी जज पर लगे आरोपों की जांच करती है। जांच में जज को कदाचार का दोषी पाए जाने पर सदन में महाभियोग पर बहस होती है। कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग चला था लेकिन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही जस्टिस सेन ने पद से इस्तीफा दे दिया था।