Move to Jagran APP

11 साल पहले भी लगी थी संकल्प को गोली

जम्मू- कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार शुक्ला ने इससे पहले भी अपनी बहादुरी की मिसाल पेश की थी। 2003 में हुई एक मुठभेड़ में उन्हें एके-47 की गोली लगी थी, लेकिन उन्होंने अपने अभियान को अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लिया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 07 Dec 2014 01:53 AM (IST)Updated: Sun, 07 Dec 2014 02:00 AM (IST)
11 साल पहले भी लगी थी संकल्प को गोली

11 साल पहले भी लगी थी संकल्प को गोली

loksabha election banner

जागरण संवाददाता, रांची । जम्मू- कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए लेफ्टिनेंट कर्नल संकल्प कुमार शुक्ला ने इससे पहले भी अपनी बहादुरी की मिसाल पेश की थी। 2003 में हुई एक मुठभेड़ में उन्हें एके-47 की गोली लगी थी, लेकिन उन्होंने अपने अभियान को अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लिया था। बाद में घायल संकल्प को 40 टांके लगे थे। जख्म भरते ही वे फिर देश सेवा में जुट गए और आखिर 2014 में ऐसे ही एक मुठभेड़ में उन्हें शहादत मिली।

आज हरमू मुक्तिधाम में होगा अंतिम संस्कार

संकल्प के शव का अंतिम संस्कार रविवार को हरमू मुक्तिधाम में होगा। सेना के अधिकारियों ने बताया कि पूरे सैनिक सम्मान व सलामी के साथ संकल्प को अंतिम विदाई दी जाएगी। इससे पहले शनिवार को रांची स्थित बूटी मोड़ होटल रिट्रीट के पास कृष्णा नगर में उनके आवास पर परिचितों व रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा रहा। 30 जनवरी 2004 को उनकी शादी पटना कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर की पुत्री प्रिया से हुई थी। संकल्प की दो बेटियां आठ साल की सारा व पांच साल की माना है।

पिता को ढूंढ रहा कुलदीप का दीप

जींद । जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के उड़ी सेक्टर में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हरियाणा के खेड़ी बुल्ला गांव निवासी कुलदीप सिंह (28) के घर शनिवार को सांत्वना देने वालों की भीड़ थी। सिख रेजिमेंट में लांसनायक कुलदीप ¨सह की शहादत पर उनके गांव को गर्व है, लेकिन अपने वीर सपूत को खोने का गम सबकी आंखों में आंसू बनकर दिख रहा है। उनका दो साल का बेटा दीप घर पर जुटी भीड़ में अपने पिता को खोज रहा है। उनके बड़े भाई वजीर ¨सह ने बताया कि कुलदीप अप्रैल 2008 में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। तीन साल पहले उनकी शादी हमीरपुर गांव निवासी रेखा से हुई थी। कुलदीप ¨सह का शव रविवार को गांव पहुंचने की संभावना है।

सरहद पर पंजाब ने लिखी वीरगाथा

जालंधर । जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार को हुए आतंकी हमले में पंजाब के बहादुर सैनिक लोहा लेते हुए शहीद हो गए। इनके गांवों में शोक की लहर तो है, लेकिन ग्रामीणों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। गुरदासपुर के अवाण गांव के 31 आरटी में बतौर गनर तैनात रहे शहीद मनप्रीत सिंह के दोनों भाई भी सेना में हैं। भाई की शहादत पर उन्हें गर्व है। 21 पंजाब बटालियन में तैनात उनके भाई भूपिंदर सिंह का कहना है, 'मेरा छोटा भाई शहीद हुआ तो इससे मेरा साहस और बढ़ गया है।' मनप्रीत की शादी पांच साल पहले चरणजीत कौर से हुई थी, जिनका तीन वर्षीय बेटा भी है। इसके अलावा बठिंडा का गांव सूच भी शनिवार को शोक और गर्व के भाव में डूबा रहा। गांव के 31 फील्ड रेजीमेंट में बतौर लांसनायक तैनात सुखविंदर सिंह भी आतंकियों से लोहा लेते वीरगति को प्राप्त हुए। अजनाला के गांव पंडोरी सुक्खा सिंह निवासी सतनाम सिंह भी शनिवार को उड़ी सेक्टर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हो गए। उनकी शनिवार को पूरे सैनिक सम्मान से अंत्येष्टि की गई और हजारों नम आंखों ने अंतिम विदाई दी।

गांव पहुंचा शहीद सुभाष का शव

चंबा । श्रीनगर के उड़ी सेक्टर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला स्थित खदेट पंचायत के भराणा दा बासा गांव निवासी 24 पंजाब रेजिमेंट के हवलदार सुभाष चंद का शव शनिवार को गांव पहुंचा। कर्नल शिवाकरण व मेजर प्रमोद कुमार हेलीकॉप्टर से उनका शव लेकर शाम करीब चार बजे चिलामा हेलीपैड पहुंचे। यहां सेना के जवानों ने उन्हें सलामी दी और शव घर पहुंचाया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.