फिर से बहाल हो सकेगा पांच महिलाओं का वैवाहिक जीवन
तीन तलाक के खिलाफ इन सभी ने दायर की थीं याचिकाएं...
जेएनएन, नई दिल्ली। सायरा बानो के लिए मंगलवार खुशी का दिन था। वह पहली मुस्लिम महिला हैं जो तलाक मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट गई थीं। उनका कहना है कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब उन्हें उम्मीद बंधी है कि उनका वैवाहिक जीवन बहाल हो जाएगा। इस तरह की स्थिति का शिकार मुस्लिम समाज की बहुत सी महिलाएं हैं, लेकिन सभी अदालत नहीं जा पातीं।
सायरा को 2015 में पति ने मामूली विवाद पर उसे रजिस्टर्ड पत्र के जरिये तलाक दे दिया था। कागज पर उसने तीन बार लिखा था तलाक, तलाक, तलाक। पति प्रापर्टी डीलिंग का काम करता है। वह बच्चों को भी अपने साथ ही ले गया। उनका कहना है कि फैसले से महिलाओं को न्याय मिलेगा।
प. बंगाल में रहने वाली इशरत जहां की कहानी भी कुछ सायरा जैसी है। 15 साल की शादी केवल फोन पर हुई तकरार के बाद टूट गई। पति ने दुबई से फोन पर उसे तलाक दे दिया। बाद में गांव में आकर उसने फिर से निकाह किया और बच्चों को लेकर चलता बना। वह आज भी गांव में स्थित पति के घर में अभावग्रस्त जीवन बिता रही है। अतिया सबरी भी ऐसे ही शिकार बनी। 2012 में उसका विवाद हुआ था। दो बेटियों की मां को पति ने तलाक दे दिया था। वह सुप्रीम कोर्ट गई।
एक बार तो हारकर उसने अपनी इहलीला खत्म करने के लिए जहर भी निगला था। उत्तर प्रदेश की गुलशन परवीन भी पति के गुस्से के कारण घर से बेघर हो गई। उसका एक बच्चा है। पति ने उसे डाक के जरिये तलाक भेजा था। नोटिस लेने से इन्कार करने के बाद वह फैमिली कोर्ट भी गया। आफरीन रहमान दहेज की मांग पूरी न कर सकी तो उसे भी स्पीड पोस्ट से शादी खत्म होने का संदेश मिल गया। फराह फैज, जकिया सुमन, नूरजहां नियाज का कहना है कि अभी लड़ाई आधी जीती है। जब सरकार कानून बना देगी तब उन्हें वास्तविक खुशी मिलेगी। 70 साल से मुस्लिम महिलाएं तलाक का दंश झेलने पर विवश थीं।
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