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पाला बदल भाजपा में शामिल हो सकते हैं कई कांग्रेसी

आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मनिंदर सिंह धीर के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस में भी हलचल की स्थिति है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव से पहले कांग्रेस के कुछ पूर्व विधायक व नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं

By Sudhir JhaEdited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 08:45 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 09:21 AM (IST)
पाला बदल भाजपा में शामिल हो सकते हैं  कई कांग्रेसी

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो,। आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मनिंदर सिंह धीर के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस में भी हलचल की स्थिति है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव से पहले कांग्रेस के कुछ पूर्व विधायक व नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं। शुक्रवार को धीर को पार्टी में शामिल करते समय भाजपा के प्रदेश प्रभारी प्रभात झा ने भी कहा था कि दूसरे दलों से नेताओं के आने का सिलसिला जारी रहेगा।

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सुरक्षित ठिकाने की तलाश में हैं कांग्रेसी

सियासी गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस के भी कई नेता पाला बदल सकते हैं, इससे कांग्रेस हाईकमान की चिंता बढ़ गई है। दरअसल कांग्रेस के कई नेताओं को लगता है कि लोकसभा चुनाव की तरह दिल्ली में अभी भी मोदी लहर बरकरार है, इससे आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसलिए वे सुरक्षित ठिकाने की तलाश कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली विधानसभा भंग होने से पहले भाजपा कांग्रेस के विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने की कोशिश में जुटी हुई थी, इससे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस के कुछ विधायक व नेता भाजपा के साथ जा सकते हैं।


मिशन 60 को सफल बनाने में जुटी भाजपा

आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कार्यकर्ताओं को मिशन 60 का नारा दिया है। गौरतलब है कि पार्टी को लोकसभा चुनाव में दिल्ली में 60 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। हालांकि, पिछले महीने पार्टी के आंतरिक सर्वे में उसे 43 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। इसलिए पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के लिए दूसरे दलों के मजबूत नेताओं को अपने साथ जोड़ने का फैसला किया है।

भाजपा उन सीटों पर मजबूत उम्मीदवारों का तलाश कर रही है जहां पिछले कई चुनावों में उसे जीत नहीं मिली है। खासकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों के लिए उसके पास दमदार नेताओं की कमी है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उसे 12 सुरक्षित सीटों में से मात्र दो पर जीत हासिल हुई थी। इसी तरह अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर भी भाजपा कमजोर है। इसलिए इन सीटों पर कांग्रेस व आप के पूर्व विधायकों पर उसकी नजर है, जिन्हें वह अपने चुनाव चिह्न पर मैदान में उतारकर मिशन 60 को सफल बनाना चाहती है।

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