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इस शख्स ने 70 साल पहले आज के पाकिस्तान की भविष्यवाणी कर दी थी

मंटो ने करीब 70 साल पहले 1950 के दशक में ही कह दिया था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब संगीत, कला, साहित्य और कविता आदि को सेंसर किया जाएगा।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 11 May 2017 12:59 PM (IST)Updated: Fri, 12 May 2017 11:46 AM (IST)
इस शख्स ने 70 साल पहले आज के पाकिस्तान की भविष्यवाणी कर दी थी
इस शख्स ने 70 साल पहले आज के पाकिस्तान की भविष्यवाणी कर दी थी

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। अगर आज वो जिंदा होते तो पाकिस्तान में कट्टरपंथियों और आतंकवादियों की हिटलिस्ट में होते। हो सकता है पाकिस्तानी सरकार भी उन्हें जेल में ठूंस देती। असल में वे लिखते ही कुछ ऐसा थे कि सरकारें और कट्टरपंथी उनसे नाराज रहते थे। जी हां, यहां बात सआदत हसन मंटो की हो रही है। आज उन्हें इसलिए याद कर रहे हैं क्योंकि आज ही के दिन 11 मई 1912 को मंटो का जन्म लुधियाना में हुआ था। साल 1947 में देश के बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गए थे।

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मंटो ने करीब 70 साल पहले 1950 के दशक में ही कह दिया था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब संगीत, कला, साहित्य और कविता आदि को सेंसर किया जाएगा। सआदत ने तो पाकिस्तान और अमेरिका की दोस्ती पर भी टिप्पणी की थी। उन्होंने इस दोस्ती को रूस के साम्यवाद के खिलाफ अमेरिका का हथियार बताते हुए कहा था कि हमारे मुल्ला रूसी साम्यवाद के अच्छे विरोधी साबित होंगे। इससे हमारे देश में मुल्लाओं के हाथ में हथियार भी आ जाएंगे। इतिहासकर और मंटो की पड़पोती (ग्रैंड नीस) आएशा जलाल कहती हैं कि पिछले 35 सालों से पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है अगर वह मंटो देखते तो उसकी कड़ी आलोचना करते।

मंटो के सोचने का तरीका कैसा था उसे इस बात से ही समझा जा सकता है कि बंटवारे के वक्त जहां भारत और पाकिस्तान में लोग कह रहे थे कि 1 लाख हिंदू और 1 लाख मुसलमान मारे गए। वहीं मंटो कह रहे थे इस बंटवारे ने 2 लाख इंसानों की जान ले ली। बंटवारे से पहले वह बंबई में रह रहे थे। वह एक लेखक थे, पत्रकार थे, फिल्मों में स्क्रीन राइटर भी थे। शराब की वजह से उनका सिर्फ 43 वर्ष की उम्र में ही निधन हो गया था। लेकिन इतनी सी उम्र में भी उन्होंने 20 छोटी कहानियों के संकलन, रेडियो ड्राम के पांच संकलन, तीन निबंध, दो स्कैच, एक नॉवेल और मुट्ठीभर फिल्म स्क्रिप्ट लिखी थीं।

असल में सआदत हसन मंटो एक ऐसा नाम है, जिसके बारे में बात करने से पहले कोई भी शख्स कुछ झिझकता जरूर है। शायद इसलिए क्योंकि मंटो ने जब लिखना शुरू किया तो झिझकना बंद कर दिया था। उनकी कहानी माई नेम इज राधा में एक महिला एक पुरुष का बलात्कार कर देती है। ऐसे ही कई विषयों पर मंटो की कलम चली है।

मंटो के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सेक्स के विषय पर काफी लिखा है। इस बारे में साहित्यकार शरद दत्त कहते हैं, 'उनकी कहानियां सेक्स विरोधी हैं। उनकी कहानियां सेक्स के प्रति एक विद्रोह है।' वे मंटो को 20वीं सदी से सबसे बड़े उर्दू कहानीकार बताते हैं। शरद दत्त कहते हैं कि मंटो अपने वक्त से काफी आगे थे और उनकी कहानियों की प्रासंगिकता उनके समय से ज्यादा आज है। आएशा लिखती हैं कि जब मंटो वैश्याओं, दलालों और अपराधियों के बारे में लिखते थे तो वे असल में अपने पाठक को यह समझाने की कोशिश करते थे कि ये लोग भी इंसान हैं।


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