मनोज की कनपटी में लगी थी उसी की पिस्टल से चली गोली
मनोज वशिष्ठ मुठभेड़ मामले की जांच कर रही एसआइटी (विशेष जांच दल) की जांच में पता चला है कि मनोज की कनपटी में उसकी पिस्तौल से निकली गोली ही लगी थी। पिछले तीन दिनों से एसआइटी रोज सागर रत्ना रेस्तरां जाकर जांच कर रही है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मनोज वशिष्ठ मुठभेड़ मामले की जांच कर रही एसआइटी (विशेष जांच दल) की जांच में पता चला है कि मनोज की कनपटी में उसकी पिस्तौल से निकली गोली ही लगी थी। पिछले तीन दिनों से एसआइटी रोज सागर रत्ना रेस्तरां जाकर जांच कर रही है।
सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जांच से तो मुठभेड़ की सच्चाई का पता लग चुका है, लेकिन औपचारिक तौर पर इसको सच तभी माना जाएगा जब बैलिस्टिक, फॉरेंसिक व पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ जाएगी। विशेष आयुक्त स्पेशल सेल एसएन श्रीवास्तव के मुताबिक, मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी एजेंसियों से जल्द रिपोर्ट देने का अनुरोध किया गया है। मुठभेड़ की जांच अपने पक्ष में आने से सेल के अधिकारियों ने राहत की सांस ली है।
एसआइटी में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि जांच से पता चला है कि रेस्तरां में मनोज के पहुंचने से पहले सेल के कुछ स्टाफ पहुंच चुके थे। वे लोग हॉल में एक टेबल के चारों तरफ बैठकर बातें कर रहे थे। मनोज के वहां पहुंचते ही उन्होंने इंस्पेक्टर धर्मेद्र कुमार को फोन कर इसकी सूचना दे दी।
सूचना पाकर धर्मेद्र कुमार, सब इंस्पेक्टर भूप सिंह के साथ वहां पहुंच गए। मनोज रेस्तरां में बैठकर 4-5 लोगों से बात कर रहा था। इंस्पेक्टर धर्मेद्र उसके पास गए और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा कि वह दिल्ली पुलिस से हैं। पुलिस शब्द सुनते ही वह कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया और कमर से पिस्तौल निकालकर धर्मेद्र पर तान दी। धर्मेद्र उसकी हरकत भांप गए और तुरंत उसका हाथ पकड़कर ऊपर उठा दिया।
धर्मेद्र ने उसकी कमर पकड़कर उसके शरीर को दूसरी तरफ घुमा दिया जिसके बाद दोनों में हाथापाई शुरू हो गई। इस दौरान मनोज की पिस्टल से गोली चल गई, जो उसके सिर को भेदते हुए सामने शीशे से जा टकराई। वहीं, इंस्पेक्टर धर्मेद्र को नीचे गिरते देख कुछ दूरी पर खड़े सब इंस्पेक्टर भूप सिंह को लगा कि गोली उन्हें लगी है। जिससे उसने भी मनोज पर गोली चला दी, लेकिन उसी वक्त मनोज भी जमीन पर गिर गया जिससे गोली उसकी कमर को छूते हुए 60 डिग्री के एंगल में एक दरवाजे में लगे शीशे में जा लगी। गोली शीशे में छेद करते हुए बाहर निकल गई।
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन
अधिकारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार अगर किसी मामले में अपराधी क ो पुलिस पकड़ने की कोशिश करती है और उस दौरान वह हथियार निकाल लेता है तो पुलिस का उस पर गोली चलाना फर्जी मुठभेड़ नहीं माना जाएगा। अपराधी को हथियार निकालते देख पुलिस उसपर गोलियां चला सकती हैं।
दिल्ली के एसीपी का नाम लेकर उत्पीडऩ कर रहे थे
बागपत : कथित मुठभेड़ में मारे गए मनोज वशिष्ठ के भाई ने आरोप लगाया है कि चंडीगढ़ के दो बिल्डर दिल्ली के एक एसीपी का नाम लेकर मनोज का उत्पीडऩ कर रहे थे। दोनों ने कई बार मनोज को जान से मारने और एसीपी से मुठभेड़ कराने की धमकी भी दी थी।
परिजनों ने आशंका जताई कि पूरी साजिश में दिल्ली पुलिस के कई अधिकारी शामिल हो सकते हैं। मनोज के भाई अनिल वशिष्ठ ने बुधवार को मीडिया से बताया कि चंडीगढ़ के कर्नल सुरजीत सिंह और तेजेंद्र सिंह ने प्रॉपर्टी विवाद को लेकर मनोज को कई बार जान से मारने की धमकी दी थी। दोनों बिल्डरों ने चंडीगढ़ में मनोज के खिलाफ झूठे मुकदमे भी कायम करा दिए थे।
मनोज ने भी एसीपी के प्रभाव से दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा उत्पीडऩ की बात उनसे बताई थी। मनोज ने यह भी बताया था दिल्ली में एक प्लॉट का विवाद भी सुरजीत सिंह के साथ चल रहा है। वहीं मनोज की पत्नी प्रियंका वशिष्ठ ने बताया कि 29 अपै्रल को मनोज एयरपोर्ट से आ रहे थे तो स्पेशल सेल की एक जीप और दो बाइकों ने उनकी कार को घेर लिया, लेकिन वह किसी तरह नोएडा परी चौक तक आ गए।
इस दौरान जीप तो पीछे रह गई, लेकिन दो बाइक पर सवार सेल के सिपाही उनके पीछे नोएडा तक पहुंच गए। पिस्टल तानते हुए कहा कि 'हमारे इंस्पेक्टर से मिल लो, तुम्हारे खिलाफ सेल में कई मुकदमे कायम हैं। बैठकर बातचीत कर लो। दो-तीन लाख में मामला सुलझ जाएगा। दबाव डालने पर मनोज ने वहीं पर दोनों सिपाहियों को 60 हजार रुपये भी दे दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे
प्रियंका और अनिल वशिष्ठ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में उन्हें न्याय मिलेगा और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी। लेकिन यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह इस प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट तकजाएंगी और दोषियों को सजा दिलाकर रहेंगे।