'मन की बात' में बोले मोदी, लैंड ऑर्डिनेंस दोबारा नहीं लाएगी सरकार
भूमि कानून को लेकर किसी तरह के दुष्प्रचार में किसानों को नहीं आने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीने आज कहा कि सरकार भूमि अध्यादेश को पुन:स्थापित या फिर से जारी नहीं करेगी लेकिन किसानों को सीधा लाभमिलने वाले 13 बिंदुओं को नियमों के तहत लाकर लागू कर रही
नई दिल्ली। भूमि कानून को लेकर किसी तरह के दुष्प्रचार में किसानों को नहीं आने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीने आज कहा कि सरकार भूमि अध्यादेश को पुन:स्थापित या फिर से जारी नहीं करेगी लेकिन किसानों को सीधा लाभमिलने वाले 13 बिंदुओं को नियमों के तहत लाकर लागू कर रही है ताकि किसानों को नुकसान न हो। पीएम मोदी नेआज 11वीं बार देश के साथ “मन की बात” की। उन्होंने कहा,‘ और इसलिए जिन 13 बिन्दुओं को लागू करना पहले के कानून में बाकी था, उसको आज हम पूरा कररहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि अब न भ्रम का कोई कारण है, और न ही कोई भयभीत करने का प्रयास करे और किसानोंको भयभीत होने की आवश्यकता नही है।
पीएम मोदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण पर सरकार का मन का खुला है और किसानों के हित के किसी भी सुझाव कोस्वीकार करने के लिए भी सरकार तैयार हैं। मोदी ने कहा कि विपक्ष के तरफ से “इतने भ्रम फैलाए गए कि किसानभयभीत हो गया। मैं ऐसा कोई अवसर किसी को देना नहीं चाहता हूं, जो किसानों को भयभीत करे, किसानों कोभ्रमित करे। मुझे, मेरे किसान भाइयों-बहनों को बताना है कि लैंड-एक्विज़ेशन एक्ट में सुधार की बात राज्यों कीतरफ से आई थी” पीएम मोदी ने कहा कि जल्द ही सरकार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग बनाने जा रही। गांवोंके विकास के लिए अफ़सरशाही के चुंगल से, कानून को निकालना जरूरी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस भूमि अधिग्रहण कानून के सम्बन्ध में विवाद चल रहा है, उसके विषय में हम एक बातकहते आ रहे हैं कि सरकार का मन खुला है। किसानों के हित के किसी भी सुझाव को मैं स्वीकार करने के लिए तैयारहूं। भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार की बात राज्यों की तरफ से आग्रहपूर्वक आई’’ उन्होंने कहा कि सब को लगताथा, कि गांव, गरीब, किसान का अगर भला करना है, खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरें बनानी हैं, गांव में बिजलीपहुंचाने के लिए खम्बे लगाने हैं, गांव के लिए सड़कें बनानी है, गांव के गरीबों के लिए घर बनाने हैं, गांव के गरीबनौजवानों को रोजगार के लिए व्यवस्थायें उपलब्ध करानी हैं, तो हमें अफसरशाही के चंगुल से, कानून को निकालनापड़ेगा और तब जाकर के सुधार का प्रस्ताव आया था।
मोदी ने कहा कि “जय जवान जय किसान” ये नारा नहीं है ये हमारा मंत्र है। पीएम मोदी माता-मृत्युदर और शिशु- मृत्यु के बढ़ते मौत के आंकडो़ं पर चिंता जताते हुए कि “देश में हर वर्ष क़रीब क़रीब 50 हज़ार मातायें,13 लाख बच्चे,प्रसूति के समय ही या उसके तत्काल बाद मृत्यु हो जाती है,ये चिन्ताजनक है।माता-मृत्युदर, शिशु-मृत्युदर कमकरने की कार्य योजना के लिए ‘कॉल टू एक्शन’, दुनिया के 24 देश मिलकर के भारत की भूमि में चिंतन किया।हमलोगों ने पोलियो से मुक्ति पाई, वैसे माताओं औऱ नवजात बच्चों को बचाना है ”। पीएम मोदी ने डेंगू पर कि आजकल डेंगू की खबरें आती है लेकिन डेंगू से बचना आसान है। देश भर में 514 केन्द्रों पर डेंगू के लिए मुफ़्त जांच कीसुविधायें उपलब्ध हैं। समय रहते लोगों को इन केंद्रों पर जाकर जांच करवानी चाहिए।
पीएम मोदी ने रक्षाबंधन के पर्व पर भाइयों द्वारा बहनों को सुरक्षा योजना देने के लिए 11 करोड़ लोगों को धन्यवाददिया। आपकों बता दें कि पीएम मोदी ने लोगों से अपील की थी कि इस बार रक्षाबंधन पर भाई अपनी बहनों कोसुरक्षा बीमा दें। पीएम मोदी ने सभी माताओं और बहनों को रक्षाबंधन के पर्व की शुभकामनाएं दी। पीएम मोदी ने देशको जानकारी देत हुए कि जन-धन योजना को लागू करने से संबंधित सरकार की सभी इकाइयों को सफ़लता मिलीहै और अब तक 17 करोड़ 74 लाख बैंक खाते खोले गए। हमारा मकसद ज़ीरो बैलेंस से खाता खोलना था लेकिनगरीबों ने बचत करके, सेविंग करके 22,000 करोड़ की राशि जमा करवाई। पीएम मोदी ने गुजरात में हुई हिंसा परकहा कि “पिछले दिनों गुजरात की घटनाओं ने, हिंसा के तांडव ने, सारे देश को बेचैन बना दिया। स्वाभाविक है किगाँधी और सरदार की भूमि पर कुछ भी हो जाए तो देश को सबसे पहले सदमा पहुँचता है, पीड़ा होती है I बहुत ही कमसमय में गुजरात के मेरे भाइयों- बहनों ने परिस्थिति को संभाल लिया और फिर एक बार शांति के मार्ग पर गुजरातचल पड़ा।
पीएम मोदी ने “मन की बात“ में सूफी परम्पराओं के विद्धानो से हुई मुलाकात का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा किउनसे बात करके और उनकी बात सुनकर काफी अच्छा लगा। मोदी ने आगे कहा कि “दुनिया को इस्लाम के सहीस्वरुप को सही रूप में पहुँचाना सबसे अधिक आवश्यक हो गया है I मुझे विश्वास है कि सूफ़ी परम्परा जो प्रेम से,उदारता से जुड़ा हुआ है वे, इस संदेश को दूर-दूर तक पहुँचायेंगे। हम किसी भी संप्रदाय को क्यों न मानते हों, लेकिन,कभी सूफ़ी परम्परा को समझना चाहियेI