तीसरी पारी से तौबा करेंगे मनमोहन
करीब चार साल बाद शुक्रवार को राजधानी में मीडिया से रूबरू होने जा रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को असहज सवालों की बौछार झेलनी होगी। उनके जवाबों पर कांग्रेस और राहुल गांधी की राजनीतिक दशा-दिशा का भी काफी कुछ दारोमदार होगा। पूरी उम्मीद है कि 17 जनवरी को होने जा रही कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में राहुल को
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। करीब चार साल बाद शुक्रवार को राजधानी में मीडिया से रूबरू होने जा रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को असहज सवालों की बौछार झेलनी होगी। उनके जवाबों पर कांग्रेस और राहुल गांधी की राजनीतिक दशा-दिशा का भी काफी कुछ दारोमदार होगा। पूरी उम्मीद है कि 17 जनवरी को होने जा रही कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में राहुल को पीएम उम्मीदवार घोषित करने से पहले औपचारिक रूप से खुद प्रधानमंत्री ही शुक्रवार को उनके रास्ते से हटने का एलान कर देंगे। भाजपा की तरफ से मजबूत नेतृत्व के मुद्दे पर चलाए जा रहे अभियान का भी मनमोहन राजनीतिक जवाब देंगे और संप्रग सरकार की उपलब्धियों का भी बखान करेंगे।
वैसे प्रधानमंत्री की इस बहुप्रतीक्षित और बहुप्रचारित प्रेसवार्ता का एजेंडा सरकार की उपलब्धियों और खासतौर से खुद के खिलाफ कमजोर नेता के आरोपों की काट होगा। लेकिन, इस्तीफा देने से लेकर राहुल के लिए रास्ता साफ करने जैसे सवालों से प्रधानमंत्री को जूझना होगा। उनके इस्तीफे की अटकलों को वैसे तो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और सरकार खारिज कर चुकी है, लेकिन शुक्रवार को भी ये सवाल उनका पीछा नहीं छोड़ेंगे।
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सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री 17 जनवरी को होने वाली कांग्रेस कार्यकारिणी बैठक से पहले अगले आम चुनावों के लिए राहुल का रास्ता साफ कर देंगे। अपने तीसरे कार्यकाल की संभावनाओं को वह खुद ही खत्म कर देंगे। इससे कांग्रेस नेतृत्व को अगले चुनाव से पहले राहुल का नाम बतौर प्रधानमंत्री घोषित करने या फिर सशक्त संकेत देने में आसानी रहेगी।
दरअसल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में करारी हार के बाद कांग्रेस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी सरकार के खिलाफ गुस्सा मुखर हो रहा है। पार्टी का एक खेमा अंदरखाने साफ कह रहा है कि अगले चुनाव में जाने से पहले मनमोहन को बदलना चाहिए। पीएमओ ने हालांकि इस तरह की संभावनाएं खारिज की हैं, लेकिन पार्टी मान रही है कि अगला चुनाव उनके नेतृत्व में नहीं लड़ा जाना चाहिए।
इसीलिए, प्रधानमंत्री नए साल की शुरुआत में ही प्रेसवार्ता कर खुद अगली बार की दावेदारी से हट जाएंगे। यद्यपि, इस दौरान वह अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही राजनीतिक प्रहार भी करेंगे। कांग्रेस नेताओं में नाराजगी इस बात को लेकर है कि प्रधानमंत्री राजनीतिक तौर पर विपक्ष की बातों का जवाब नहीं देते। इसके मद्देनजर वह खासतौर से भाजपा की तरफ से नरेंद्र मोदी के मुकाबले खुद को कमजोर पीएम बताए जाने जैसे आरोपों पर जवाब देंगे। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में वह मोदी का नाम लिए बगैर तंज भी कस चुके हैं कि आखिर 'मजबूत नेता' बोलने से नहीं काम से होता है और संप्रग ने जो किया है, वह इतिहास में कोई सरकार नहीं कर सकी।
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