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जनहित याचिका से मां-बेटी को मिला न्याय, तेजाब फेंकने वाले को उम्रकैद

बदलापुर तहसील के मछलीगांव निवासी बीए की छात्रा व उसकी मां को अनैतिक मांग पूरी न होने पर 10 माह पूर्व तेजाब से जलाने के मामले में एएसजे चतुर्थ बुधिराम यादव ने शिक्षामित्र विमल मौर्य को आजीवन कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि दोनों पीड़िताओं को दी जाएगी। इस मामले में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रो

By Edited By: Published: Tue, 23 Sep 2014 10:39 AM (IST)Updated: Tue, 23 Sep 2014 10:49 AM (IST)
जनहित याचिका से मां-बेटी को मिला न्याय, तेजाब फेंकने वाले को उम्रकैद

जौनपुर। बदलापुर तहसील के मछलीगांव निवासी बीए की छात्रा व उसकी मां को अनैतिक मांग पूरी न होने पर 10 माह पूर्व तेजाब से जलाने के मामले में एएसजे चतुर्थ बुधिराम यादव ने शिक्षामित्र विमल मौर्य को आजीवन कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि दोनों पीड़िताओं को दी जाएगी। इस मामले में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने जनहित याचिका भी दायर की थी। उस पर हाईकोट के चीफ जस्टिस हर तिथि पर केस की मानीटरिंग कर रहे थे। निर्भया कांड के बाद सीआरपीसी में सशोधन कर जोड़ी गई धारा 326 (ए) के तहत प्रदेश में दी गई संभवत: यह पहली सजा है।

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मछलीगांव निवासी सुमन ने थाना बदलापुर में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि किसी ने 7 नवंबर 2013 की रात 12 बजे उसकी ननद माधुरी व सास चम्पा कों सोते समय खिड़की से तेजाब फेंककर जला दिया जिससे दोनों का चेहरा कुरूप हो गया। दोनों का जिला अस्पताल के अलावा वाराणसी में 13 दिन इलाज चला। पीड़िता माधुरी ने पुलिस को बयान दिया कि आरोपी शिक्षामित्र विमल मौर्य ने उससे शादी करने व संबंध बनाने का दबाव बनाया। उसके इन्कार पर बरबाद करने की धमकी दी। उसकी शादी अन्यत्र तय हो चुकी थी। घटना के अगले दिन ही उसकी गोद भराई थी।

विवेचना के बाद पुलिस ने चार्ज शीट कोर्ट में दाखिल की। एडीजीसी प्रकाश मिश्र ने 10 गवाह परीक्षित कराए। माधुरी ने कोर्ट में खड़े विमल की शिनाख्त भी की। सोमवार को दंड के प्रश्न पर सुनवाई के दौरान आरोपी ने खुद को अविवाहित व नवनियुक्त शिक्षामित्र बताते हुए कहा कि उसकी कमाई से ही घर चलता है अत: उसे कम से कम सजा दी जाए।

शासकीय अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी के कृत्य से माधुरी का भविष्य अंधकारमय हो गया। यहां तक कि शादी की संभावना क्षीण हो गई। इसलिए दोषी को अधिकतम सजा दी जाए। इस पर कोर्ट ने विमल को भादंसं की धारा 326 ए के तहत दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई।

कोर्ट की टिप्पणी

किसी को यह अनुमति नहीं दी जा सकती कि अनैतिक संबंध कायम बनाने से इन्कार करने पर वह किसी महिला का भविष्य अंधकारमय कर दे। आरोपी ने उसे शारीरिक के अलावा अपूरणीय मानसिक क्षति पहुंचाई है। दंड ऐसा हो कि समाज पर प्रभाव पड़े।

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