वामदलों का ममता से हाथ मिलाने से इन्कार
पश्चिम बंगाल में भाजपा के बढ़ते वर्चस्व की चुनौती से पार पाने के लिए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख धुर विरोधी वामदलों से हाथ मिलाने को तैयार हैं, जबकि कामरेडों ने इससे साफ इन्कार कर दिया। वाममोर्चा की अगुवाई वाली माकपा ने भाजपा को रोकने के लिए बिहार मॉडल की तर्ज पर ममता बनर्जी की पार्टी से हाथ मिलाने की संभ
कोलकाता, जागरण ब्यूरो। पश्चिम बंगाल में भाजपा के बढ़ते वर्चस्व की चुनौती से पार पाने के लिए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख धुर विरोधी वामदलों से हाथ मिलाने को तैयार हैं, जबकि कामरेडों ने इससे साफ इन्कार कर दिया। वाममोर्चा की अगुवाई वाली माकपा ने भाजपा को रोकने के लिए बिहार मॉडल की तर्ज पर ममता बनर्जी की पार्टी से हाथ मिलाने की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि 13 सितंबर को दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव में यदि भाजपा का खाता खुला तो बंगाल में नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं। ऐसे में भाजपा के खिलाफ तृकां, कांग्रेस और वामपंथी दल एकजुट हो सकते हैं।
भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता और फॉरवर्ड ब्लॉक के देवब्रत विश्वास ने कहा, तृणमूल के साथ वामपंथी दलों की दोस्ती का सवाल ही पैदा नहीं होता। ममता की गलत राजनीति से ही बंगाल में भाजपा को जगह मिली। सूर्यकांत मिश्र ने कहा, 1998 में ममता ने भाजपा से हाथ मिलाया था। तब पहली बार भाजपा को बंगाल में राजनीतिक जमीन मिली थी। शुक्रवार को ममता ने एक बांग्ला चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि राजनीति में कोई अछूत नहीं है। सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए माकपा से प्रस्ताव मिलता है तो विचार करेंगी। उन्होंने बिहार मॉडल की राजनीति अपनाने के सवाल पर लालू-नीतीश और कांग्रेस को धन्यवाद दिया था।
ममता ने कहा था वह वामपंथियों को अच्छी नजर से देखती हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि ममता की बेचैनी से साबित होता है कि बंगाल में भाजपा का उत्थान हो रहा है।
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