सामूहिक अवकाश पर गए महाराष्ट्र के रेजिडेंट डॉक्टर्स, मरीज हो रहे परेशान
मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में आज रेजिडेंट डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर हैं। यह फैसला उन्होंने अपने साथी डाक्टरों पर हुए हमले के बाद लिया है। इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है।
मुंबई। अपने साथी डाक्टर पर हुए हमले के खिलाफ मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई हिस्सों में सोमवार को सरकारी अस्पताल के रेजीडेंट डाक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है। इससे पूरे राज्य में मरीजों की समस्या बढ़ सकती है। सामूहिक अवकाश पर जाने वाले डाक्टरों का कहना है कि वह ऐसे माहौल में काम नहीं कर सकते हैं जहां पर उनकी अपनी ही जान खतरे में पड़ जाए। इसके चलते कुछ अस्पतालों में वैकल्पिक व्यवस्था भी की गई है। मुंबई के केईएम अस्पताल के डीन डाक्टर अविनाश सूपे का कहना है कि उन्होंने मरीजों की समस्या को ध्यान रखते हुए इमरजेंसी अरेंजमेंट किए हैं।
We are making all emergency arrangements so that patients do not suffer:Dr Avinash Supe,Dean, KEM Hospital,Mumbai on resident doctors strike
— ANI (@ANI_news) March 20, 2017
गौरतलब है कि पिछले दिनों धुले, नासिक और सायन के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों पर मरीजों के परिजनों द्वारा हमला किया गया था। इन परिजनों का आरोप था कि उनके मरीज का इलाज ठीक तरह से नहीं किया जा रहा है। इस तरह के हमलों के बाद से ही डॉक्टराें में काफी रोष व्याप्त था। राज्य के सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों के ऊपर हो रहे हमले से राज्य के डाक्टर काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
Mumbai: Crowd outside Sion Hospital as resident doctors across Maharashtra are on strike after recent incidents of violence against doctors pic.twitter.com/1yo9GrkCvA— ANI (@ANI_news) March 20, 2017
Mumbai: Doctors sitting on silent protest outside OPD at Sion Hospital after recent incidents of violence against doctors pic.twitter.com/QXZiQL57vx— ANI (@ANI_news) March 20, 2017
रेजीडेंट डॉक्टरों के सब्र का बांध शनिवार की रात के बाद टूटा जब सायन के एक अस्पताल में उनके एक साथी पर जानलेवा हमला हुआ। हमला कुछ लोगों ने अपने रिश्तेदार की मौत के बाद किया। इसमें डॉक्टर रोहित कुमार को गंभीर चोटें आई थीं। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नियम कड़े करने का भरोसा दिलाया था।
डाक्टरों के इस फैसले के बाद से ही उन्होंने इस पर अमल भी शुरू कर दिया है। इस फैसले के बाद मुंबई के बड़े अस्पतालों के 75 फीसदी से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर काम पर नहीं हैं। इसका सीधा असर मरीजों की देखरेख पर पड़ रहा है। मुंबई हाईकोर्ट के एक आदेश के मुताबिक महाराष्ट्र के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल का आह्वान नहीं कर सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने विरोध जताने के लिए सामूहिक अवकाश का रास्ता चुना है।