महाराष्ट्र सरकार की सफाई, मदरसे 'शिक्षा के अधिकार' के तहत नहीं आते
महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने राज्य सरकार के फैसले पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि हम मदरसों की शिक्षा में विज्ञान, गणित व सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों को शामिल करना चाहते हैं।
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने राज्य सरकार के फैसले पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि हम मदरसों की शिक्षा में विज्ञान, गणित व सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों को शामिल करना चाहते हैं। तावड़े ने कहा कि हम मदरसों की धार्मिक शिक्षा में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। साथ ही उन्होंने सरकार के उस फैसले का बचाव किया कि जिसमें कहा गया है कि मदरसे के छात्र 'आउट ऑफ स्कूल' समझे जाएंगे।
शिक्षा मंत्री तावड़े ने संप्रग सरकार द्वारा बनाए गए कानून की याद दिलाते हुए कहा कि 'शिक्षा के अधिकार' के तहत जिन छात्रों को राष्ट्रीय स्कूल पाठ्यक्रम के अंतर्गत नहीं पढ़ाया जाता उन्हें 'आउट ऑफ स्कूल' माना जाता है।
ओवैसी का महाराष्ट्र सरकार पर हमला
ऑल इंडिया मजलिस- ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( AIMIM ) नेता असादुद्दीन ओवैसी ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए इसे असंवैधानिक कदम बताया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार जानबूझकर अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है। भड़काऊ भाषण देकर अक्सर चर्चा में रहने वाले नेता औवैसी ने कहा कि मदरसा जाने वाले बच्चे 'आउट ऑफ स्कूल' छात्र नहीं हैं।
मदरसे स्कूल नहीं
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने मदरसों को स्कूल मानने से इंकार किया है। सरकार ने अपने फैसले में कहा है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को छात्र का दर्जा नहीं मिलेगा। भाजपा नेतृत्व वाली फड़नवीस सरकार ने मदरसों पर यह बड़ा फैसला लिया है। फड़नवीस सरकार ने मदरसों को नॉन स्कूल की श्रेणी में डाल दिया है। साथ ही सरकार ने मदरसे के बच्चों को 'आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रेन' घोषित करने को कहा है। इस फैसले के पीछे महाराष्ट्र सरकार की दलील है कि इससे मदरसे के बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा व्यवस्था में लाने में मदद मिलेगी।
भाजपा की सफाई
इस बीच केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि इस फैसले को लेकर किसी भी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिए। नकवी ने कहा कि मदरसों की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाया गया है। सरकार की कोशिश है कि मदरसों में जाने वाले छात्र मुख्यधारा की शिक्षा में जुड़ें।