जर्मन बेकरी ब्लास्ट: हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी महाराष्ट्र सरकार
पुणे के जर्मन बेकरी ब्लास्ट मामले में महाराष्ट्र सरकार बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
नई दिल्ली, (जेएनएन)। साल 2010 में पुणे में हुए जर्मन बेकरी ब्लास्ट मामले में महाराष्ट्र सरकार बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने की तैयारी कर रही है। इसी क्रम में राज्य सरकार आज सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर सकती है। इस मामले में एक मात्र दोषी मिर्जा हिमायत बेग को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आतंकवादी गतिविधियों से बरी कर दिया था।
इससे पहले मिर्जा हिमायत बेग को आतंकवादी गतिविधियों के तहत दोषी मानते हुए विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने हिमायत बेग को आतंकवादी गतिविधियों से बरी कर दिया था। हालांकि उसे गैर कानूनी गतिविधियों और विस्फोटक रखने के लिए एक्सप्लोसिव सब्सटांस एक्ट के तहत दोषी मानते हुए उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी।
जर्मन बेकरी ब्लास्ट के दोषी हिमायत बेग की फांसी को उम्रकैद में बदला गया
क्या है जर्मन बेकरी ब्लास्ट केस?
13 फरवरी 2010 को पुणे की जर्मन बेकरी में ब्लास्ट हुआ था। इसमें 17 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 60 लोग घायल हुए थे। मारे गए लोगों में 4 विदेशी नागरिक भी शामिल थे। हिमायत बेग को आरडीएक्स रखने के आरोप में सितंबर 2010 में महाराष्ट्र के बीड से गिरफ्तार किया गया था। शेख लालबाबा मोहम्मद हुसैन उर्फ बिलाल बेग के अलावा 6 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया था। दिसंबर 2010 में इन्वेस्टिगेशन टीम ने इस मामले में 2500 पन्नों की रिपोर्ट फाइल की थी।
क्या था बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य आरोपी हिमायत बेग की सजा को बदल दिया था। अदालत ने उसे केवल विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। जिसमें से हिमायत पांच साल कैद की सजा पहले ही काट चुका है।