भाजपा ने खारिज किया शिवसेना का नया फार्मूला
शिवसेना-भाजपा के बीच सीट बंटवारे का मसला शनिवार को भी नहीं सुलझ सका। महाराष्ट्र में 15 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया की शनिवार से शुरुआत भी हो गई। गठबंधन बचाने के लिए शिवसेना की ओर से सीट बंटवारे का भाजपा को नया फार्मूला पेश किया गया था, जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया है और पार्टी ने शिवसेना को नया प्रस्ताव सौंप दिया है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। शिवसेना-भाजपा के बीच सीट बंटवारे का मसला शनिवार को भी नहीं सुलझ सका। महाराष्ट्र में 15 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया की शनिवार से शुरुआत भी हो गई। गठबंधन बचाने के लिए शिवसेना की ओर से सीट बंटवारे का भाजपा को नया फार्मूला पेश किया गया था, जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया है और पार्टी ने शिवसेना को नया प्रस्ताव सौंप दिया है।
महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े के अनुसार, शिवसेना की ओर से एक नया फार्मूला भाजपा को प्राप्त हुआ था। जिसके तहत शिवसेना राज्य की 288 सीटों में 155 सीटें अपने पास रखना चाहती है, 117 भाजपा को देना चाहती है और 16 सीटें शेष चार साथी दलों में बांटना चाहती है। शुरुआत में शिवसेना से आधी-आधी सीटें बांटने की बात करनेवाली भाजपा के लिए इस फार्मूले के तहत पहले से भी कम सीटें प्राप्त होती दिख रही हैं। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा 119 सीटों पर लड़ी थी। शिवसेना के नए फार्मूले में चार छोटे दलों को मनाना भी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता था। इन चार में से तीन दल भाजपा के कारण गठबंधन से जुड़े हैं। उनकी नाराजगी का खमियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फणनवीस ने नए फार्मूले पर देर रात शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर यह बता दिया कि यह भाजपा की कोर कमेटी को मंजूर नहीं है। उन्होंने सीटों के बंटवारे पर भाजपा की ओर से एक नया प्रस्ताव शिवसेना को सौंपा है।
सूत्रों के अनुसार जिला इकाइयों को निर्देश दे दिए गए हैं कि अब तक शिवसेना द्वारा लड़ी जानेवाली सीटों के लिए भी दो-तीन नाम तलाश कर उनके कागज तैयार कर लिए जाएं जिससे शिवसेना से बात बिगड़ने पर उनमें से किसी योग्य व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जा सके।
राकांपा ने भी दिया अल्टीमेटम:
पिछले 15 वर्षो से साथ-साथ सत्ता में रही कांग्रेस और राकांपा में भी इस बार सीट बंटवारे पर बात बनती नहीं नजर आ रही है। राकांपा की ओर से उसकी मांगें मानने के लिए कांग्रेस को एक दिन का मौका और दिया गया है।
राकांपा हाल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से दोगुनी सीटें जीतने के बाद विधानसभा चुनाव में राज्य की 288 में से आधी सीटों पर हिस्सेदारी चाहती है। कांग्रेस उसे 124 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल पटेल ने शनिवार को कांग्रेस को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कांग्रेस रविवार तक राकांपा के लिए कोई सममानजनक रास्ता नहीं निकालती तो सोमवार को राकांपा नेता मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे से मिलकर तुरंत कोई फैसला करने अथवा गठबंधन तोड़ने का आग्रह करेंगे।
गौरतलब है कि राकांपा कांग्रेस की कमान मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण को दिए जाने से भी खुश नहीं है। उप मुख्यमंद्दी एवं शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने हाल ही में टिप्पणी की है कि वह दोबारा पृथ्वीराज चह्वाण के साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में काम करना पसंद नहीं करेंगे। दूसरी ओर, राकांपा शिवसेना-भाजपा गठबंधन के बीच चल रही तकरार पर भी अपनी नजर गड़ाए बैठी है। उसके नेता शिवसेना को भड़कानेवाले बयान दे रहे हैं।
गृहमंद्दी आरआर पाटिल ने यह कहकर शिवसेना को उकसाने की कोशिश की है कि भाजपा क्षेद्दीय दलों को खत्म करना चाहती है। माना जा रहा है कि ऐसा करके राकांपा भविष्य में शिवसेना से दोस्ती का रास्ता खुला रखना चाहती है।