चेन्नई हाईकोर्ट ने कहा, तीन महीनों तक नहीं खुलेंगी बंद हुई 3300 शराब दुकानें
मद्रास हाईकोर्ट ने हाइवे के आसपास शराब दुकानों को फिर से खोलने और नए स्थान आवंटित करने की तमिलनाडू सरकार की कोशिशों को झटका दिया है।
चेन्नई (जेएनएन)। मद्रास हाईकोर्ट ने हाइवे के आसपास शराब दुकानों को फिर से खोलने और नए स्थान आवंटित करने की तमिलनाडू सरकार की कोशिशों को झटका दिया है। राज्य सरकार को हाईवे के विभिन्न हिस्सों को स्थानीय निकायों के हवाले करने जा रही थी जिससे 3300 से अधिक बंद शराब दुकानों के लिए रास्ता निकल आता लेकिन कोर्ट ने ऐसी कोशिशों पर अगले तीन महीने तक विराम लगा दिया है।
चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एम. सुंदर की बेंच ने यह फैसला दो जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया जिसे कोर्ट में डीएमके नेता आरएस भारती एवं एडवोकेट फोरम फॉर सोशल जस्टिस के अध्यक्ष के. बालू ने दायर किया था। कोर्ट ने कहा - अगले तीन महीनों तक नई दुकानें खोलने और पुराने के स्थान में कोई भी परिवर्तन के लिए सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है। कोर्ट ने यह फैसला उस वक्त लिया जब राज्य के एडवोकेट जेनरल संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए। कोर्ट ने पूछा था कि हाईवे को नगर निकायों अथवा निगम के अधीन करने के प्रयासों के पीछे कहीं शराब दुकानों को राहत देने का मकसद तो नहीं है। इसके लिए एडवोकेट जेनरल से अंडरटेकिंग देने के लिए कहा गया था। बेंच ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।
इसके पूर्व डीएमके के आरएस भारती की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरीय अधिवक्ता पी. विल्सन ने आरोप लगाया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने की कोशिश कर रही है। ऐसा कोई अधिकार विधायिका को नहीं है। विल्सन ने कहा कि नेशनल हाईवे सरकार के अंदर नहीं आ सकतीं और इस तरह सरकार फैसले को लेकर कुछ नहीं कर सकती।
कोर्ट में यह मामला 11 नवंबर 2016 के उस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आया है जिसमें नगर प्रशासन विभाग ने हाईवे से विभिन्न विकास योजनाओं के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने में कठिनाइयों का जिक्र किया है। रिपोर्ट में इस बात की अनुशंसा की गई है कि राज्य सरकार हाईवे के उन हिस्सों को नगर निकायों के अधीन कर दे, जो उनके क्षेत्र से होकर गुजरते हैं। 21 अप्रैल को इस रिपोर्ट के आधार पर नगर प्रशासन विभाग के कमिश्नर ने 25 अप्रैल के पूर्व फैसला कर लेने का निकायों को निर्देश दिया था। इसपर कोर्ट में भारती ने लोकहित याचिका दायर की और पहले ही हाइवे पर शराब बिक्री बंद करने को लेकर पीआइएल दायर कर चुके बालू ने कोर्ट में मामले का उल्लेख किया और मंगलवार को सुनवाई के लिए समय प्राप्त कर लिया। विल्सन ने कोर्ट में दलील दी कि अक्टूबर 2016 के बाद से नगर निकायों में कोई भी निर्वाचित परिषद नहीं है इसलिए धारा 243 के तहत इन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है।