मद्रास HC का निर्देश, लागू किया जाए भक्तों के लिए 1 जनवरी से ड्रेस कोड
न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने कहा, ‘हमें सार्वजनिक पूजा के लिए ऐसी ड्रेस पहननी चाहिए, जो आम तौर पर उचित समझी जाती हो।’
चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और हिंदू धार्मिक व धर्मार्थ धर्मादा विभाग को निर्देश दिए हैं कि आध्यात्मिक माहौल को बढ़ाने के लिए मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए आने वाले भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करें।
रासू द्वारा तिरचिरापल्ली जिले स्थित श्री शेनबागा विनायागर मंदिर में 'आदल पादल प्रोग्राम' (नृत्य व संगीत) के लिए पुलिस सुरक्षा एवं अनुमति की मांग को लेकर दायर की गई एक याचिका का निपटान करते हुए न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने कहा कि हमें सार्वजनिक पूजा के लिए ऐसी ड्रेस पहननी चाहिए, जो आम तौर पर उचित समझी जाती हो।
इस्लाम धर्म के लोग मस्जिदों में प्रवेश करते वक्त अपने ड्रेस कोड का बहुत ध्यान रखते हैं। इसलिए तमिलनाडु में मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए निर्धारित ड्रेस कोड अपरिहार्य हो जाता है, ताकि भक्तों में आध्यात्मिक माहौल को बढ़ाया जा सके।
न्यायाधीश ने कहा कि विभाग को ड्रेस कोड को लागू करने पर इस प्रकार विचार करना चाहिए कि पुरुषों के लिए ऊपरी कपड़ों के साथ धोती या पायजामा या औपचारिक पैंट एवं कमीज तथा महिलाओं के लिए ब्लाउज के साथ साड़ी या अर्ध साड़ी, ऊपर पहने गए कपड़े के साथ चूड़ीदार व बच्चों के लिए पूरी तरह शरीर को ढकने वाली ड्रेस।
न्यायाधीश ने कहा कि ड्रेस कोड का 1 जनवरी 2016 से मंदिरों में पालन किया जाना चाहिए और सरकार को यथासंभव शीघ्रता से इस मुद्दे पर कोई फैसला लेने के लिए निर्देशन दिया गया है।