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जानिए क्‍यों, यहां के पुरुष चूल्‍हा-चौका संभालने को हैं मजबूर

युवकों का इतना बुरा हाल है कि उन्‍हें घर-बाहर दोनों संभालना पड़ रहा है। जिनकी शादियां हो भी गई हैं तो उन्‍हें उनकी पत्नियां अपने साथ ले जा चुकी हैं।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Tue, 19 Sep 2017 11:42 AM (IST)Updated: Tue, 19 Sep 2017 03:07 PM (IST)
जानिए क्‍यों, यहां के पुरुष चूल्‍हा-चौका संभालने को हैं मजबूर
जानिए क्‍यों, यहां के पुरुष चूल्‍हा-चौका संभालने को हैं मजबूर

सोंईकलां-श्योपुर , नईदुनिया। मध्‍य प्रदेश स्थित श्योपुर के दलारना व मलारना गांव में युवकों की शादियों पर खारे पानी ने ग्रहण लगा दिया है। इन दोनों गांवों के कुएं, बोर व हैंडपंपों में इतना खारा पानी निकलता है कि उसे पीते ही लोग बीमार हो जाते हैं। पीने के लिए मीठा पानी गांव से दो किमी दूर पार्वती नदी से लेने जाना पड़ता है।

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कोई नहीं आता बेटियां ब्‍याहने

इन दोनों गांवों में कोई अपनी बेटियों को ब्याहने नहीं आता, इसीलिए दलारना-मलारना में कुंआरों की फौज खड़ी हो गई है। इन गांवों में युवाओं की शादियों पर ग्रहण कोई एक-दो साल से नहीं लगा है। दलारना और मलारना में ऐसे कई कुंआरे हैं, जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर तक हो गई है।

कइयों का नहीं बस पाया घर

इन गांवों के युवकों का दर्द इसी से समझिए कि दलारना गांव निवासी मनफूल मीणा (58), जुगराज (56) उर्फ काडू मीणा और कन्हैया मीणा (54) रिश्ते में सगे भाई हैं। इन तीनों भाइयों में से किसी की शादी नहीं हुई। गांव में ऐसे कई परिवार हैं, जिनमें दो या इससे अधिक भाई हैं, लेकिन एक भी भाई का घर नहीं बसा। दलारना-मलारना गांव में 120 से ज्यादा ऐसे पुरुष हैं, जिनकी उम्र 25 से लेकर 65 साल तक पहुंच गई, लेकिन उनका घर नहीं बसा।

खुद संभालना पड़ रहा चूल्‍हा-चौका

लड़कों की शादी न होने के कारण इन गांवों में कई घर ऐसे हैं, जिनमें एक भी महिला नहीं। इस कारण युवकों को ही महिलाओं वाले सारे काम करने पड़ रहे हैं। बालू 32 और उसका भाई बाबू प्रजापति 30 साल का है। माता-पिता की मौत हो चुकी है। घर में कोई महिला नहीं। इसलिए दोनों भाई बारी-बारी से रसोई का जिम्मा संभालते हैं। दलारना-मलारना में ऐसे कई युवक हैं।

कई पत्नियां गांव से ले गईं
पति को
खारे पानी के कारण यहां के युवकों का घोड़ी चढ़ने का सपना टूट रहा है। जिन युवकों की शादियां किसी तरह हो गई हैं वह भी कम परेशान नहीं हैं। कई युवक ऐसे हैं, जिन्हें शादी के बाद उनकी पत्नी गांव से ले गई। कई युवक श्योपुर में रहे रहे हैं तो कई कोटा, जयपुर चले गए हैं।

दलारना-मलारना से सटे ईचनाखेड़ली गांव में रहने वाले दो भाइयों की पत्नी एक-एक करके उन्हें छोड़कर चली गई। उन्होंने पत्नियों को मनाकर गांव में लाने का प्रयास किया, वे नहीं मानीं।

मुसीबत देख लौट जाते हैं लोग

दलारना के पूर्व सरपंच धनजीत सिंह मीणा का कहना है कि गांव का पानी इतना खारा है कि पीते ही बीमार हो जाते हैं। जो कोई लड़की की सगाई करने आता है, वह पानी के लिए लोगों की मुसीबत देख लौट जाता है और फिर नहीं आता। हमारे यहां कुंआरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

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