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LPG सब्सिडी में सरकार द्वारा पेश किए आंकड़ों में अंतर !

इंटरनेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलेमेंट की एक अध्ययन के मुताबिक एलपीजी सब्सिडी को लेकर सरकार द्वारा पेश किए आंकड़ों में भारी अंतर है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2015 10:48 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2015 11:56 AM (IST)
LPG सब्सिडी में सरकार द्वारा पेश किए आंकड़ों में अंतर !

नई दिल्ली । इंटरनेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलेमेंट की एक अध्ययन के मुताबिक एलपीजी सब्सिडी को लेकर सरकार द्वारा पेश किए आंकड़ों में भारी अंतर है। इसके अनुसार पहल योजना के तहत वित्त वर्ष 2014-15 में 12,700 करोड़ की बचत दिखाई गई जबकि वास्तविक बचत 143 करोड़ से ऊपर नहीं बढ़ सकी।आकलन किया जाए तो सरकार द्वारा किए गए दावे का ये 1.12 फीसद है।

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इस संस्थान ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारी गणना के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में डीबीटीएल के तहत ये तय की गई बचत से कहीं ज्यादा बताया गया। यह महत्वपूर्ण है कि सरकार द्वारा सटीक आंकड़ा पेश किया जाता जिससे कि डीबीटीएल को प्रोत्साहित करने के लिए सही नीतियां बनाई जा सके। इस संबंध में अध्ययन करने वाले तीन अध्ययनकर्ताओं में से एक कीरेन क्लार्क ने कहा कि ये और महत्वपूर्ण हो जाता है जब इस योजना के तहत कैरोसीन व अन्य खाद्य पदार्थों को देने पर विचार किया जा रहा हो।

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम द्वारा पेश किए 12,700 करोड़ के आंकड़े को सही मानते हुए IISD ने अपने अध्ययन के लिए इस चुना। सरकार द्वारा इससे पहले भी इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई।अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने IISD की रिपोर्ट को लेकर भारतीय मीडिया में छपी तमाम जानकारियों की समीक्षा की। इस मामले में इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट को कवर किया।

सरकार द्वारा पेश किए इस आंकड़े में कई गंभीर चूक थी। जिसके चलते इसके विश्लेषण में भारी अंतर पाया गया। आइआइटी दिल्ली की प्रोफेसर रितिका खेड़ा ने कहा इसमे कोई आश्चर्य नहीं है कि सरकार इन आंकड़ो को ज्यादा बता रही है।उन्होंने कहा कि इस पर गंभीरतापूर्वक काम ही नहीं किया गया। इस मामले में कई रिपोर्ट सामने आईं, सभी में लाभ को बढ़ाकर पेश किया गया और कई चीजों को छिपाया गया।

आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा भी एक स्टडी कराई गई, जिसके मुताबिक मई 2015 में आधे से ज्याद लोगों ने अपना राशन नहीं उठाया। जो कारण उभरकर सामने आए उनमे या तो उनका आधार नंबर सही नहीं था या उनका उंगलियों के निशान गलत थे।इस तरह की अनियमितता में सही आंकड़ों का सामने आना संदेह के घेरे में था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 अक्टूबर को दिए गए फैसले में कहा गया था कि पीडीएस की लिए आधार का प्रयोग किए जाए। ऐसे में सरकार द्वारा पेश किए गए आकड़ों में कई विसंगतियां सामने आईं।

( साभार-इंडियन एक्सप्रेस )


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